प्यार की बात मुझसे वो करने लगा ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
प्यार की बात मुझसे वो करने लगादिल मेरा क्यों न जाने था डरने लगा ।
मिल के हमने बनाया था इक आशियां
है वही तिनका तिनका बिखरने लगा ।
दीनो-दुनिया को भूला वही प्यार में
जब किसी का मुकद्दर संवरने लगा ।
दर्दमंदों की सुन कर के चीखो पुकार
है फ़रिश्ता ज़मीं पे उतरने लगा ।
जो कफ़स छोड़ उड़ने को बेताब था
पर सय्याद उसी के कतरने लगा ।
था जो अपना वो बेगाना लगने लगा
जब मुखौटा था उसका उतरने लगा ।
उम्र भर साथ देने की खाई कसम
खुद ही "तनहा" मगर अब मुकरने लगा ।
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