एक हम हैं इक ख़ुदा है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '
एक हम हैं इक ख़ुदा है
बस वही सब जानता है ।
बेवजह क्यों लड़ रहे हैं
हर किसी से ही गिला है ।
मौत बन जाती तमाशा
क्या अजब ये हादिसा है ।
सब पुराने दोस्त अपने
पर ज़माना अब नया है ।
ज़हर सबसे पूछता है
क्या मुझे तुमने चख़ा है ।
नफरतों का दौर है अब
प्यार करने की सज़ा है ।
बोलते हैं सच सभी बस
झूठ ' तनहा ' बोलता है ।
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