मई 25, 2025

POST : 1972 एक हम हैं इक ख़ुदा है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

    एक हम हैं इक ख़ुदा है ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा ' 

 
एक हम हैं इक ख़ुदा है 
बस वही सब जानता है । 

बेवजह क्यों लड़ रहे हैं 
हर किसी से ही गिला है ।
 
मौत बन जाती तमाशा 
क्या अजब ये हादिसा है । 
 
सब पुराने दोस्त अपने 
पर ज़माना अब नया है । 
 
ज़हर सबसे पूछता है 
क्या मुझे तुमने चख़ा है । 
 
नफरतों का दौर है अब 
प्यार करने की सज़ा है । 
 
बोलते हैं सच सभी बस 
झूठ ' तनहा ' बोलता है । 
 

 

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