मई 24, 2025

POST : 1969 रहो खामोश ये फ़रमान चुप रहना नहीं आसां ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

       रहो खामोश ये फ़रमान चुप रहना नहीं आसां ( ग़ज़ल ) 

                  डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

रहो ख़ामोश ये फ़रमान चुप रहना नहीं आसां  
न जीने की भी मोहलत है यहां मरना नहीं आसां । 
 
अजब इक तौर देखा अब अदावत की सियासत है
इनायत कातिलों पर क्यों ये सच कहना नहीं आसां । 
 
लगी करने यहां सरकार कारोबार सत्ता का 
उन्हीं रस्तों गुज़रना है जहां चलना नहीं आसां ।
 
उसी को चारागर समझो दिए हैं ज़ख़्म सब जिसने 
जिसे नासूर कहते हैं उसे भरना नहीं आसां । 
 
बुझा सारे चरागों को अंधेरा कर दिया इतना 
हवाएं कह रही ' तनहा ' शमां जलना नहीं आसां ।  
 

Dushyant Kumar Selected Shayari Collection - Amar Ujala Kavya - Dushyant  Kumar Shayari:दुष्यंत कुमार की ग़ज़लों से चुनिंदा शेर


1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

Wah बहुत खूब