मई 24, 2025

POST : 1970 किसी दिन हम अपनी कहानी लिखेंगे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

किसी दिन हम अपनी कहानी लिखेंगे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा ' 

 
 
किसी दिन हम अपनी कहानी लिखेंगे 
जहां प्यास लिखना हो पानी लिखेंगे । 
 
बुरा वक़्त आया नहीं दोस्त कोई 
की सबने बड़ी मेहरबानी लिखेंगे । 
 
वो बेदर्द ज़ालिम लुटेरे थे बेशक 
मगर थे सभी खानदानी लिखेंगे । 
 
न पूछा कभी नाम क्या आपका है 
है तस्वीर किस की पुरानी लिखेंगे । 
 
हुई थी मुलाक़ात ख्वाबों में ' तनहा '
उसे अपने सपनों की रानी लिखेंगे । 
 
 

 
 
 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

वाह बहुत खूब