किसी दिन हम अपनी कहानी लिखेंगे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '
किसी दिन हम अपनी कहानी लिखेंगे
जहां प्यास लिखना हो पानी लिखेंगे ।
बुरा वक़्त आया नहीं दोस्त कोई
की सबने बड़ी मेहरबानी लिखेंगे ।
वो बेदर्द ज़ालिम लुटेरे थे बेशक
मगर थे सभी खानदानी लिखेंगे ।
न पूछा कभी नाम क्या आपका है
है तस्वीर किस की पुरानी लिखेंगे ।
हुई थी मुलाक़ात ख्वाबों में ' तनहा '
उसे अपने सपनों की रानी लिखेंगे ।
1 टिप्पणी:
वाह बहुत खूब
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