टीवी एंकर का कोरोना साक्षात्कार ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
गहरी नींद में खुद को सबसे अधिक देखे जाने वाले टीवी चैनल की सबसे अच्छी एंकर कहलाने वाली को सपने में इक बदसूरत अजनबी ने आकर ये कह चौंका दिया , क्या मुझसे डर गई आप। क्या बोलते हो कौन हो तुम जो मुझसे इस तरह की बात करने की भूल कर रहे हो। डर और मुझे किस से क्यों कभी भी नहीं तुम अपनी औकात सोचकर बात करना। जी मैडम जी आपकी बात उचित है और मुझे भी बेअदबी से बात करना बिल्कुल भी पसंद नहीं है। मगर मुझे ये कहना इसलिए पड़ा क्योंकि आप लोग तो बड़े बड़े आतंकवादी को भी तलाश कर उसका साक्षात्कार लेते नहीं घबराते हो। पहले कहा जाता था जहां न पहुंचे रवि वहां भी पहुंचे कवि। अर्थात जिस जगह सूर्य भी नहीं पहुंचता कवि उस जगह भी चले जाते हैं मगर अब आप लोग टीवी अख़बार वाले तो ज़मीन का पाताल से भी निकाल लाते हो कैसे कैसे खतरनाक अपराध करने वालों को। मैं भी जब से दुनिया भर को अपने नाम से भयभीत हुआ देखा तो यकीन था कोई तो अवश्य मेरे को भी खोज लेगा और आमने सामने बैठ मुझसे भी तीखे तीखे सवाल करेगा। आपको देखता रहा कितनी जगह क्या खूब शान से दावा करते हुए अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए हम आपको अमुक अमुक शहर की लाइव तस्वीर दिखला रहे हैं। विश्वास करें आपका फैन हो गया मैं भी।
अच्छा तो आप कोरोना हैं सच में या फिर शोहरत हासिल करने को ये नाम रख लिया है। जी नहीं मैडम जी मैं और मैं ही कोरोना हूं और मेरे पास ये साबित करने के सभी सबूत हैं। मुझे जितनी शोहरत मिली है भले उसको शोहरत नहीं बदनामी कहना उचित होगा उस से बढ़कर नाम हो ही नहीं सकता और होना भी नहीं चाहिए क्योंकि खुद मुझे भी अपने आप से डर लगने लगेगा। दर्पण में अपनी ही सूरत मुझे डरावनी लगने लगेगी। मैं तो अपनी छवि को और खराब नहीं होता देखना चाहता तभी जब कोई नहीं आया मेरे करीब तो मुझे ही तलाश करनी पड़ी कौन है जो मुझसे मिल मेरी बात सुनकर सबको बताए और जिसकी बात का भरोसा भी सभी करते हों। बार बार आपका इश्तिहार वज्ञापन या दावा आपके ही चैनल पर देखा कि लोग सबसे अधिक भरोसा आप के चैनल पर करते हैं और सबसे बढ़िया साक्षात्कार खुद आप ही लिया करती हैं। बस मुझे भी भरोसा है आप ही मेरी छवि बदल सकती हैं। अधिक समय व्यर्थ बर्बाद नहीं करते हुए आप अपना कार्य शुरू कर सकती हैं और आपको मुझे कोई सवाल पहले से बताने की ज़रूरत नहीं है।
साक्षात्कार :-
आप क्यों दुनिया भर को इस कदर विचलित कर रहे हैं। कोई तो मकसद होगा आपका बिना कारण हर किसी की ज़िंदगी को संकट में डालने से आपको क्या हासिल होगा।
नहीं मैडम जी मुझे किसी को भी भयभीत नहीं करना और किसी से मुझे कोई बैर ही है। वास्तव में मुझे तो कुदरत ने ये पता करने को भेजा है कि दुनिया में इंसानों में इंसानियत कितनी बची हुई है। यही देखने मुझे सभी लोगों के भीतर श्वास के साथ जाना पड़ता है और मुझे अच्छा लगता है अभी बहुत लोगों में इंसानियत और भलेमनानुष होने का दर्शन होता है और उनको मैं कोई नुकसान नहीं पहुंचाता हूं। मगर जो तब भी इंसान और इंसानियत की बात को नहीं समझते उनको भी गंभीर दशा में भी अपने अमानवीय आचरण पर पछतावा होने पर छोड़ देना चाहता हूं।
आप मेरा इतना काम कर देना कि जब भी कभी जिसका मुझसे पाला पड़ जाए उनको तब खुद सोच विचार कर भविष्य में अच्छे इंसान बनने की बात का निर्णय मन ही मन करना चाहिए।
क्या आप मेरे साथ भी यही सब करोगे अगर कभी मुझे भी कोरोना से करीब से मिलना हुआ।
मैडम जी ये क्या आप तो मेरे पास खुद आने की बात कहती हैं। मेरे लिए कोई देश कोई सीमा कोई धर्म किसी भी तरह से कोई अंतर दुनिया के लोगों में नहीं है। मैंने सभी को इक समान समझा है आपने देख लिया है। आपके मन में भी मैं हूं ही कभी आपकी सांस में भी जाने का अवसर मिल जाए क्या खबर। मगर आप घबराना नहीं बस शुद्ध भावना से सच्चे मन से अच्छे इंसान और इंसानियत की बात का निर्णय करना। यही एक ही दवा भी है और बचाव की वैक्सीन भी यही है।
आप तो रोज़ अपने चैनल पर धर्म की बातों की चर्चा करती रहती हैं। आपने खुद कभी ये बात भी ज़रूर बताई होगी कि जब कोई इंसान सच्चा इंसान बनकर इंसानियत का धर्म अपना लेता है तब उसको मौत का भी कोई डर नहीं छू सकता है।
अचानक फोन की घंटी बजी और टीवी एंकर की नींद खुल गई। क्या सपना था एंकर ने विचार किया इसको खबर नहीं बनाया जा सकता है। मानो चाहे नहीं मानो , यही उचित जगह है आधी रात को दिखाया जाता है। सोचकर खुश हो गई ऐसा कोई हमारे से पहले नहीं दिखला दे आज ही रात को दिखाने की ज़रूरत है।
2 टिप्पणियां:
बढ़िया तंज़👌👍
आज ही रात को दिखाने की...चैनल वालों की सच्ची मानसिकता को बताती पंक्ति
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