मई 17, 2020

POST : 1302 हर मोड़ पर लिखा था आगे नहीं है जाना ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

      हर मोड़ पर लिखा था आगे नहीं है जाना ( ग़ज़ल ) 

                                 डॉ लोक सेतिया "तनहा" 


हर मोड़ पर लिखा था आगे नहीं है जाना 
कोई कभी हिदायत ये आज तक न माना । 

मझधार में पहुंच कर सरकार कह रही है 
सब डूब जायें बेशक बस नाख़ुदा बचाना । 
     
( नाख़ुदा = नाविक , मल्लाह , मांझी , केवट , कर्णधार )

हम मांगते न सोना हम मांगते न चांदी 
रहने को झौंपड़ी बस दो वक़्त का हो खाना । 

फिर वो ग़ज़ल सुना दो जो दर्द को भुला दे 
खुशियां हमें मिलेंगी किस दिन ज़रा बताना । 

ये ज़िंदगी ने पूछा चलते तो जा रहे हो 
अब तो कहीं बना लो रहने को इक ठिकाना । 

मंज़िल भी दूर तुमको चलना भी है अकेले
इक बात याद रखना मत राह भूल जाना । 

चढ़कर मचान पर अब क्या देखते हो "तनहा" 
था कारवां उन्हीं से उनको था साथ लाना । 
 

 
 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

👍👌....आज तक न माना...दो वक़्त.. खाना