सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो ( ख्यालों में ) डॉ लोक सेतिया
धार्मिक कथाओं की तरह किसी ने तपस्या की और दर्शन देने पर खुश होक वरदान मांगने को कहा गया। उसने मांगा मुझे कोई दवा दे दो जो कोरोना को ठीक कर दे और कोरोना से बचाव भी करती हो। तथास्तु वरदान मिला मगर किसी को ये राज़ नहीं बताना किस ने वरदान दिया हर किसी को नहीं मिलते वरदान। आपको लगा होगा वाह फिर क्या समस्या है क्या परेशानी है मगर सच इस से आगे उलझन ही उलझन है। अब या तो वह आदमी अपने पास दवा होने की बात इश्तिहार में सबको बता कर मनमानी कीमत वसूल करना शुरू करे और हज़ारों करोड़ की कमाई करे या फिर वास्तविक भलाई करने को सबको मुफ्त या लागत मूल्य पर दवा देने की घोषणा कर दे। लेकिन अकेले करोड़ों लोगों तक कैसे बेच सकता है और बेचने में भी हज़ार झंझट हैं। सरकारी विभाग पता चलते ही पूछताछ को आपको नोटिस थमा देगा किस शोध किस आधार पर आप ऐसा दावा करते हैं। आप न तो किसी देश के शासक हैं जो कुछ भी कहते रहें कोई रोकता टोकता नहीं और न ही आपका करोड़ों का दवाओं का कारोबार है जो अपनी किसी दवा टॉनिक को गोलमोल ढंग से बेचने को वज्ञापन करें ये फायदा दे सकता है फायदा किसी को हो न हो उसका फायदा होना तय है।
मगर ऐसे लोग नासमझ ही नहीं अव्वल दर्जे के मूर्ख होते हैं , उसने सोचा क्यों नहीं देश की सरकार को ही बता दे और उसे बिना पैसा लिए दवा देकर सबको बांटने का वचन लेने की बात कहे। और उस ने यही किया तो क्या होगा , सरकार चाहेगी ये मनवाना कि दवा का शोध सरकारी खर्च से किया गया है क्योंकि सरकार को ये कोरोना भी इक अवसर लगता है। खुद सरकार घोषणा कर चुकी है उसको कोई ईनाम पुरुस्कार या कोई संसद की मेंबरशिप जो मर्ज़ी मिल सकता है मगर सरकार जो चाहती है वही सच मानना होगा। अब कैसे समझाए ये क्या राज़ है अगर ऐसे झूठ बोलकर दवा दी तो कोई असर नहीं होगा वरदान देते समय शर्त साथ है किसी और को शामिल नहीं करना ये क्या है किस ने दी है। लेकिन उसने ऐसा कोई स्वार्थ नहीं हासिल करना और इस तरह दवा देनी है कि देश की जनता की भलाई हो और कोई गोलमाल नहीं हो सके।
अब उसने इक योजना बनाकर सरकार को भेजी , कोरोना की रामबाण दवा आपको निशुल्क मिल सकती है मगर कुछ शर्तों को मानना होगा। आपको सबसे पहले देश के तीस प्रतिशत गरीबों को खिलानी होगी मुफ्त में , उसके बाद मध्यम वर्ग को उचित दाम पर जितना वो आसानी से दे सकते हैं उपलब्ध करवानी होगी। मगर उन अमीर लोगों राजनेताओं को अधिकारी कर्मचारी जिन्होंने जनता के धन से करोड़ों रूपये किसी भी तरह वास्तविक वेतन से बढ़कर जमा किए हैं उनको दवा मिलनी चाहिए पहले उनकी हराम की जमा की कमाई को गरीबों को बांटकर ,ताकि सबको दवा भी मिल जाये और देश की गरीबी भी हमेशा को मिट जाये। क्या आपको लगता है सरकार तैयार हो जाएगी कदापि नहीं , अपनी एजंसी को उस को हिरासत में लेने एफआईआर दर्ज करने से धोखाधड़ी से लेकर तमाम धाराओं में जकड़ने का काम किया जाएगा। क्यों होगा नहीं समझे क्योंकि सरकार योजना बना चुकी होगी उस दवा को विदेश की सरकारों को ऊंचे दाम पर बेच कर खज़ाना भरने को। अब उसके लिए साबित करना नामुमकिन होगा कि अगर ऐसा किया तो दवा का कोई असर नहीं होगा। नतीजा उसको ठग घोषित कर जेल भेज दिया जाएगा। मैंने उसको यही राय दी है ये दवा किसी काम नहीं आनी है तुम कहोगे कोई मानेगा नहीं और धोखेबाज़ लोगों में तुम्हें भी शामिल कर लेंगे समझदार लोग। नकली सामान फिर भी बिक सकता है असली का कोई खरीदार नहीं है। कब से उसे तलाश कर रहा हूं वो मिल नहीं रहा कहां है कोई नहीं जानता कहीं .............. नहीं नहीं।
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