मई 09, 2020

POST : 1288 न इसको खबर न उसको पता ( फ़िल्मी मसाला ) डॉ लोक सेतिया

 न इसको खबर न उसको पता ( फ़िल्मी मसाला ) डॉ लोक सेतिया 

                                   ( जसपाल भट्टी जी को समर्पित )

   काश आज जसपाल भट्टी जी होते तो उल्टा पुल्टा सार्थक हो जाता । मुझे उनकी गैरहाज़िरी में ये लिखना पड़ रहा है नहीं तो ये मेरे बस की बात नहीं है । जैसे किसी कहानी में दो लोग दूर देस में अपना अपना सिक्का चलाने में सफल हुए उनकी धाक ऐसे जमी कि उनका मिलना ज़रूरी हो गया । दोनों को एक दूजे से सीखने थे गुण भी अवगुण भी साथ साथ । आपको कई पुरानी फिल्मों की कहानी फिर से याद करवानी है बिना उस के आपको समझ नहीं आएगा मतलब क्या है । गाइड फिल्म में नायक जालसाज़ी की सज़ा काटकर घर वापस नहीं जाना चाहता , वहां कौन है तेरा मुसाफ़िर जाएगा कहां । चलते चलते बहुत दूर किसी और गांव में अपने शहर से पहुंच कर थक जाता है और सो जाता है । कोई साधु उस पर अपनी भगवा रंग की चादर डाल जाता है ठंड से बचाने को । सुबह उठते ही गांव वाले उस को कोई महात्मा समझ लेते हैं , आगे बहुत कुछ होता है मगर महात्मा का लेबल लग गया तो किरदार निभाना होता है । आखिर उस गांव के लोग महात्मा को उपवास रखने को विवश करते हैं ताकि गांव में बारिश हो सके और बरसात हो जाती है । नायक की जान रही या गई लोगों का विश्वास सच हो जाता है । 

     आपने फ़िल्मी गीत का मिक्स सुना होगा दर्द भरे गीत का डिस्को से मिलन । लगता है किसी ने कितनी फिल्मों की तस्वीरों को जोड़कर ब्लैक एंड वाइट रंगीन और तमाम और टैक्नीकलर जो मिला दिया है और इक नासमझ आने वाली रहस्यमयी फिल्म बना दी है । गाइड से कहानी पूरब और पश्चिम से जुड़ती है जिस में भारत लंदन जाकर पश्चिमी रहन सहन वाली नायिका को भारतीय सभ्यता सिखाने भारत लाता है इस वायदे पर कि वापस आने के बाद उस से विवाह करेगा और भारत छोड़ लंदन में बस जाएगा । बीच में पारसमणि अलीबाबा चालीस चोर फिल्म भी टुकड़े जोड़ शामिल किया गया है । अब भूमिका से आगे बढ़ते हैं । 

     दोनों मिले शान से नमस्कार हुआ , फिर कोई चमत्कार हुआ । भारत के मंदिर बंद हुए अमेरिका में मंत्रोचार हुआ । इधर भी उधर भी कोरोना का दोनों देश के राष्ट्रपति भवन में अवतार हुआ । अपने देश में कुछ और समझ आया मंदिर को ताला लगवाया मगर जाने क्या असर उस सात समंदर पार हुआ । माथे पर तिलक लगाकर अमेरिका वाला यार गुलज़ार हुआ । समझा हर किसी ने उसका बेड़ा पार हुआ । इधर जो नहीं काम आया उधर उसी से काम सफल होने की बात का राज़ कोई नहीं जानता मगर कुछ हुआ तो है उपहार दिया उपहार मिला भी होगा । अमेरिका वाला क्या कोई चाबी दे गया किसी खज़ाने के ताले की या कुछ और जो अभी दिखानी नहीं किसी को नहीं तो उसका काला जादू बेअसर हो जाएगा । दोस्ती करने से पहले दुश्मन की भी राय ली जाये ऐसा इक शायर कहते हैं । चीन से दोस्ती भारत अमेरिका दोनों को बड़ी महंगी साबित हुई है । आप क्या सोचने लगे ये चीन बीच में कहां से चला आया मुझे भी नहीं समझ आया कि ये कहानी दो की थी तीसरा कौन घुस आया मगर जिसने फिल्म का मसाला जोड़ा वही जानता है । 

ये संगम फिल्म की बात है प्यार किसी से शादी किसी से और प्यार की चिट्ठी शादी के बाद भी संभाली रखी है । चीन की अलमारी से कोई ऐसी चीज़ बरामद हुई है कि अमेरिका को उसकी बेवफ़ाई का सबूत मिल गया है । चीन अमेरिका का रिश्ता जो भी हो हम किधर जाएं इक तरफ कुंवां इक तरफ खाई है । किशोर कुमार बनाते थे ऐसी कहानी जो कब किस को बाप बेटा मालिक नौकर बना दे सब पहचानते उनको अपने पिता बेटे की पहचान नहीं होती थी । प्यार किये जा दिन जवानी के छार यार प्यार किये जा । ग़ज़ब है दोनों देशों में हाहाकार मची है और दोनों अजीब अजीब कारनामे करने लगे हैं । खास बात ये है कि भारत में लोग हैरान है क्या पढ़े लिखे अमेरिका के लोगों ने ऐसे व्यक्ति को चुन लिया था , और अमेरिका वाले अभी समझ नहीं पाए कि भारत वालों को क्या अच्छे दिन की परिभाषा नहीं समझ आई थी जो फिर उसी भूल को दोहराने की गलती की है । काठ की हांडी दो बार चढ़ती देखी नहीं कभी । कथा अभी है ये अध्याय कुछ दोहों को सुनकर विराम देते हैं । 

देश की राजनीति पर वक़्त के दोहे - डॉ  लोक सेतिया 

नतमस्तक हो मांगता मालिक उस से भीख
शासक बन कर दे रहा सेवक देखो सीख ।

मचा हुआ है हर तरफ लोकतंत्र का शोर
कोतवाल करबद्ध है डांट रहा अब चोर ।

तड़प रहे हैं देश के जिस से सारे लोग
लगा प्रशासन को यहाँ भ्रष्टाचारी रोग ।

दुहराते इतिहास की वही पुरानी भूल
खाना चाहें आम और बोते रहे बबूल ।

झूठ यहाँ अनमोल है सच का ना  व्योपार
सोना बन बिकता यहाँ पीतल बीच बाज़ार ।

नेता आज़माते अब गठबंधन का योग
देखो मंत्री बन गए कैसे कैसे लोग ।

चमत्कार का आजकल अदभुत  है आधार
देखी हांडी काठ की चढ़ती बारम्बार ।

आगे कितना बढ़ गया अब देखो इन्सान
दो पैसे में बेचता  यह अपना ईमान । 
 

                               नया अध्याय ( पांच साल बाद )

दोस्त दोस्त न रहा , यार यार न रहा , अमेरिका पर दुनिया को ऐतबार न रहा । नशे की रात ढल गई अब खुमार न रहा । वक़्त ने बदला इतना बदला कि दोस्त दुश्मनी की हद से निकलते लगते हैं , पांव धरती से फिसलते लगते हैं । हाथ मिलाने वाले हाथ मलते लगते हैं कुछ रिश्ते ग़ज़ब होते हैं प्रेमी प्रेमिका नहीं पति पत्नी नहीं संगी साथी नहीं तलालशुदा नहीं फिर कैसा गठबंधन है मतलब की दुनिया सारी बिछुड़े सभी बारी बारी । 
 
 
अमेरिका ने पहले भी बड़े पैमाने पर अप्रवासियों को निर्वासित किया है। जानिए  क्या हुआ था। - POLITICO

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

अलग अलग कहानियों से झलकते व्यंग्य👍