बना कर सरकार बड़े पछताये ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया
कहते हैं खुदा एक को बनाओ अगर हर किसी को बनाओगे तो हाथ मलते रह जाओगे। साहूकार भी सोच समझ कर बनाना चाहिए हर चौखट पर सर नहीं झुकाना चाहिए। सयाना ईयाणा दो शब्द हैं पंजाबी में ईयाणा वो होता है जो आपकी बात का ढिंढोरा पीटता है और उस से उधार क़र्ज़ लेना अपनी फजीहत करवाना होता है ऐसा साहूकार बड़ा हानिकारक होता है अब चाहे वो आपका बाप ही क्यों नहीं हो। हम नासमझ लोग हैं एक दो नहीं तीन तीन सरकार बना रखी हैं। देश की सरकार राज्य की सरकार और इक घर की सरकार अब आपको इक को नहीं तीन को साधना है। रहीम जी कहते हैं
" एकै साधे सब सधै , सब सधै सब जाय , रहिमन मूलहि सींचिबो फूलहि फलिह अघाय "।
आपका ध्यान इक की तरफ होना चाहिए ठीक है मगर मुश्किल ये है एक कौन जड़ को सींचना है मगर जड़ किसे समझें किसे फल फूल यहां सब मामला गड़बड़ है। अब हर सरकार की मर्ज़ी है जो वो कहती है वही आदेश है आपको पालन करना चाहिए। और आपको जीना भी है और मन को शांत भी रखना है तो आपको मौन तपस्वी की तरह सब देखते समझते विचलित नहीं होना है जो देश में होता है होने दो जो राज्य में घटता है घटने दो जो घर की हालत है रहने दो। मैं ग़म को ख़ुशी कैसे कह दूं जो कहते हैं उनको कहने दो। या दिल की सुनो दुनिया वालो या मुझको अभी चुप रहने दो।
" एकै साधे सब सधै , सब सधै सब जाय , रहिमन मूलहि सींचिबो फूलहि फलिह अघाय "।
आपका ध्यान इक की तरफ होना चाहिए ठीक है मगर मुश्किल ये है एक कौन जड़ को सींचना है मगर जड़ किसे समझें किसे फल फूल यहां सब मामला गड़बड़ है। अब हर सरकार की मर्ज़ी है जो वो कहती है वही आदेश है आपको पालन करना चाहिए। और आपको जीना भी है और मन को शांत भी रखना है तो आपको मौन तपस्वी की तरह सब देखते समझते विचलित नहीं होना है जो देश में होता है होने दो जो राज्य में घटता है घटने दो जो घर की हालत है रहने दो। मैं ग़म को ख़ुशी कैसे कह दूं जो कहते हैं उनको कहने दो। या दिल की सुनो दुनिया वालो या मुझको अभी चुप रहने दो।
बात यहां से शुरू होती है। सरकार ने नियम बनाया है आपको घर से बाहर कब निकलना है कैसे और क्यों का भी हिसाब रखना है। आपको सभी को चेहरे को ढकना चाहिए , अब भूल जाओ न मुंह छिपा के जिओ और न सर झुका के जिओ। ग़मों का दौर भी आये तो मुस्कुरा के जिओ। कोरोना का रोना धोना छोड़ के जिओ मगर सरकार नहीं इजाज़त देती। आपको मास्क लगाना है क्या मास्क से आपको कोरोना नहीं होगा , नहीं आपको कोरोना है ये मान कर चलो और आपको मास्क लगाना है ताकि किसी और को कोरोना नहीं देते रहो। मतलब इस तरह है घर में किसी को नहीं आने देना आपके पास जो खज़ाना है कोई भी आकर लूट सकता है , अब सभी को चोर की तरह से कोरोना का रोगी समझने में ही भलाई है। अब आपको किसी पर भी भरोसा नहीं करना है भरोसा रखना है सरकार पर मगर मुश्किलें बहुत हैं सरकार तीन हैं उनकी बातें हज़ार हैं। सब अच्छे भले हैं मगर सभी बीमार हैं नासमझ है जो वही समझदार हैं। आजकल के अजब किरदार हैं बात दस्तूर की जब करते नहीं किसलिए बन गए आप सरदार हैं। सरकार आपको बताती है आपको कोरोना है भी नहीं भी आप को डॉक्टर के पास जाना भी नहीं और जाना भी ज़रूरी है मगर कब क्यों सरकार की बात समझ लो। क्या सरकार को कोरोना की जानकारी है कहते हैं नहीं है मगर आपको देनी है जो सरकार कहती है वही सच है।
सरकार कोई भी बनाने वाले को समझना कठिन होता है बाद में पछताने से भी कोई फ़ायदा नहीं सरकार को सरकार रहना है आपको समझ आती है चाहे नहीं भी आती है। घरवाली सरकार है घर देश है शहर है गांव है सब है और आप क्या हैं कुछ भी नहीं हैं जनता की तरह कहने को मालिक हैं अधिकार कोई भी नहीं है। ये कुछ भी नहीं बेमतलब की तकरार है। घर भी अपने में इक संसार है कोई इस पार कोई उस पार है हर किसी को सब कुछ दरकार है। यहां सभी 52 गज़ के हैं कोई चालाक है कोई समझदार है कोई किसी तरह साबित करता है उसी की चाहत है अहमियत है जो नहीं जानता हुनर सभी को खुश रखने का नहीं किसी काम का वो बस बेकार है। लिखी तो ग़ज़ल थी अब छंद को छोड़ बात लिखता हूं। जो अंधें हैं सबको रास्ता दिखा रहे हैं। जो बहरे हैं बड़े ध्यान से सुन रहे हैं। जो गूंगे हैं वही बड़े मधुर स्वर में गा रहे हैं। सबको उन्हीं पर है ऐतबार भी जो रात को दिन बता रहे हैं। सरकार हैं , वही पुरानी बात है। राजा बोला रात है। रानी बोली रात है। मंत्री बोला रात है। संत्री बोला रात है। मीडिया को भी जोड़ लो वो भी बोला रात है। ये सुबह सुबह की बात है। हर सरकार का यही यकीन होता है कि उसका कोई विकल्प नहीं है। घरवाली समझती है उस से अच्छी आपको नहीं मिल सकती थी। देश की सरकार मानती है उसको बदलोगे तो पछताओगे राज्य की सरकार दावा करती है वही मन मोहने वाली मनोहर सरकार है। अपना मत पूछो क्या विचार है जिसका निज़ाम है सब उसी का इख़्तियार है बंदा क्या है इक कागज़ की तलवार है। तकदीर उनकी है जिनके सर पर कोई सरकार सवार नहीं रहती है। मोदी योगी खट्टर क्या समझेंगे सरकार सर पर लटकी दो धारी तलवार होती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें