कोविड हिरासत में पूछताछ जारी ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
खबर गर्म है शोर मच गया है आखिर दुनिया भर के देशों की पुलिस उसके पीछे लगी थी कब तक बचता। इस से पहले कि आप अलग अलग टीवी चैनल की अपनी अपनी घड़ी कहानी और अख़बार वालों की खबरों में उलझ जाएं आपको मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी नमक का दरोगा को याद करना होगा लघुकथा है फिर से पढ़ सकते हैं। मुंशी वंशीधर का नमक विभाग का दरोगा बनना पंडित अलोपीदीन को रंगे हाथ पकड़ना और अदालत में लक्ष्मी जी के आशिर्वाद से अलोपीदीन का बेगुनाह साबित होना और नमक के दरोगा का नौकरी से निलंबित होना और अंत में पंडित अलोपीदीन का खुद आकर मुंशी वंशीधर को अपना मैनेजर बनाना और ये कहना कि मैंने योग्यता और किताबी शिक्षा को खूब देखा है लक्ष्मी के सामने सर झुकाते हुए। मगर पहली बार किसी को अपना धर्म ईमानदारी से निभाते खुद सामने दर्शन किये हैं। आप इस युग के सबसे दुर्लभ व्यक्ति हैं मुझे ऐसी ही विश्वसनीय आदमी की ज़रूरत है।
कोविड को पकड़ने को सभी लगे हुए थे अमेरिका ने तो बड़ा ईनाम भी घोषित किया हुआ था और उसका शक था कि चीन ने उसको पाला पोसा है और बढ़ावा दिया है। जिस तरह हम पाकिस्तान को जानते हैं आतंकवाद को समर्थन देने को लेकर। आखिर सुरक्षा एजेंसियों ने नमक के दरोगा का ही चयन किया और बदले नाम से उसे देश भर में राज्यों की पुलिस को भी उसी के साथ सहयोग करने को निर्देश जारी कर दिए और इस सूचना को गोपनीयता की शपथ दिलवाकर राज़ को राज़ रखने का काम किया गया। हर शहर दूर देश की पुलिस भी जानकारी भेजने लगी मगर वंशीधर को समझ आ गया था सब गलत सूचना ईनाम पाने को भेज रहे हैं। जैसा भारत की पुलिस करती है कितने थाने के थानेदार किसी को पकड़ कबूल करवा चुके हैं कि वही असली कोविड है। उधर कोविड अपने पकड़ से बाहर होने के सबूत भेजता रहा।
नमक के दरोगा को वही पुराना तरीका आज़माना उचित लगा , किसी नाचने वाली हसीना से कोविड का भी नाता अवश्य हो सकता है। और ढूंढते ढूंढते वो सही जगह पहुंच भी गया। तब जानकारी मिली कि कोविड जब शराब के नशे में धुत होता है तभी नाच देखने मौज मस्ती करने उधर आता है। शराब की दुकानें बंद हैं तो पिये बिन वो यहां आया ही नहीं। तब नमक के दरोगा ने सभी सरकारों को शराब की दुकानें खोलने का उपाय बतलाया और शराबखाने की रौनक दिखाई देने लगी। हर शराब की दुकान पर निगरानी की जाने लगी और धर पकड़ होने लगी , कितने मदहोश शराबी नशे में खुद को कोविड होना स्वीकार करने लगे।
मगर नमक का दरोगा अपना जाल बिछा चुका था और इंतज़ार करता रहा उसके अपनी महबूबा से आकर मिलने का। आखिर उसने कोविद को नशे में झूमते हिरासत में ले ही लिया। और उसको उसी के हवाले कर दिया जिस ने उसको इस काम को नियुक्त किया था। नमक के दरोगा ने अपना काम कर दिया था मगर उसे नहीं पता था कि कोविड का खेल ख़त्म नहीं हुआ बल्कि अब तो इसकी शुरुआत हुई है। सरकार के अधिकारी नेता एंजेंसियां सब अपना अपना काम करने लगी और चर्चा होने लगी किस ने कितना ईनाम घोषित किया हुआ है और पुरुस्कार किसे मिलेगा। कोविड को बड़े अधिकारी गुप्त स्थान पर जांच और पूछताछ को ले गए थे। आधी रात को शोर मच गया कि कोविड हिरासत से भाग गया है। शायद उसको नकली मुठभेड़ में मार गिराया गया है। शंका जताई जा रही है कि या तो कोविड अपने पर घोषित ईनाम से बड़ी रकम रिश्वत में देकर सुरक्षित बच निकला है या फिर उसे किसी विदेशी सरकार को सौंप दिया गया है। नमक का दरोगा फिर इक बार अपनी ईमानदारी की खातिर निलंबित किया जा चुका है और इस बार उसको कोई पंडित अलोपीदीन भी मैनेजर रखने नहीं आने वाला है वो भी बदल गया है सत्ता से विरोध नहीं करना चाहता है।
अदालत में कितने लोग नकाब से चेहरे ढके लाये गए हैं। नमक का दरोगा हाज़िर है उसको पहचान करनी है इन सब में असली कोविड कौन है। सरकारी वकील ने वादा किया है इन में ही किसी को असली बता दे तो उसके साथ नर्मी से बर्ताव किया जाएगा और माफ़ भी किया जा सकता है। कोविड की सूरत किसी और की सूरत से मेल नहीं खाती है। वंशीधर उसकी तस्वीर अपनी जेब में लिए गुनगुना रहा है , तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की भी सूरत , हम जहां में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं।
कोविड को पकड़ने को सभी लगे हुए थे अमेरिका ने तो बड़ा ईनाम भी घोषित किया हुआ था और उसका शक था कि चीन ने उसको पाला पोसा है और बढ़ावा दिया है। जिस तरह हम पाकिस्तान को जानते हैं आतंकवाद को समर्थन देने को लेकर। आखिर सुरक्षा एजेंसियों ने नमक के दरोगा का ही चयन किया और बदले नाम से उसे देश भर में राज्यों की पुलिस को भी उसी के साथ सहयोग करने को निर्देश जारी कर दिए और इस सूचना को गोपनीयता की शपथ दिलवाकर राज़ को राज़ रखने का काम किया गया। हर शहर दूर देश की पुलिस भी जानकारी भेजने लगी मगर वंशीधर को समझ आ गया था सब गलत सूचना ईनाम पाने को भेज रहे हैं। जैसा भारत की पुलिस करती है कितने थाने के थानेदार किसी को पकड़ कबूल करवा चुके हैं कि वही असली कोविड है। उधर कोविड अपने पकड़ से बाहर होने के सबूत भेजता रहा।
नमक के दरोगा को वही पुराना तरीका आज़माना उचित लगा , किसी नाचने वाली हसीना से कोविड का भी नाता अवश्य हो सकता है। और ढूंढते ढूंढते वो सही जगह पहुंच भी गया। तब जानकारी मिली कि कोविड जब शराब के नशे में धुत होता है तभी नाच देखने मौज मस्ती करने उधर आता है। शराब की दुकानें बंद हैं तो पिये बिन वो यहां आया ही नहीं। तब नमक के दरोगा ने सभी सरकारों को शराब की दुकानें खोलने का उपाय बतलाया और शराबखाने की रौनक दिखाई देने लगी। हर शराब की दुकान पर निगरानी की जाने लगी और धर पकड़ होने लगी , कितने मदहोश शराबी नशे में खुद को कोविड होना स्वीकार करने लगे।
मगर नमक का दरोगा अपना जाल बिछा चुका था और इंतज़ार करता रहा उसके अपनी महबूबा से आकर मिलने का। आखिर उसने कोविद को नशे में झूमते हिरासत में ले ही लिया। और उसको उसी के हवाले कर दिया जिस ने उसको इस काम को नियुक्त किया था। नमक के दरोगा ने अपना काम कर दिया था मगर उसे नहीं पता था कि कोविड का खेल ख़त्म नहीं हुआ बल्कि अब तो इसकी शुरुआत हुई है। सरकार के अधिकारी नेता एंजेंसियां सब अपना अपना काम करने लगी और चर्चा होने लगी किस ने कितना ईनाम घोषित किया हुआ है और पुरुस्कार किसे मिलेगा। कोविड को बड़े अधिकारी गुप्त स्थान पर जांच और पूछताछ को ले गए थे। आधी रात को शोर मच गया कि कोविड हिरासत से भाग गया है। शायद उसको नकली मुठभेड़ में मार गिराया गया है। शंका जताई जा रही है कि या तो कोविड अपने पर घोषित ईनाम से बड़ी रकम रिश्वत में देकर सुरक्षित बच निकला है या फिर उसे किसी विदेशी सरकार को सौंप दिया गया है। नमक का दरोगा फिर इक बार अपनी ईमानदारी की खातिर निलंबित किया जा चुका है और इस बार उसको कोई पंडित अलोपीदीन भी मैनेजर रखने नहीं आने वाला है वो भी बदल गया है सत्ता से विरोध नहीं करना चाहता है।
अदालत में कितने लोग नकाब से चेहरे ढके लाये गए हैं। नमक का दरोगा हाज़िर है उसको पहचान करनी है इन सब में असली कोविड कौन है। सरकारी वकील ने वादा किया है इन में ही किसी को असली बता दे तो उसके साथ नर्मी से बर्ताव किया जाएगा और माफ़ भी किया जा सकता है। कोविड की सूरत किसी और की सूरत से मेल नहीं खाती है। वंशीधर उसकी तस्वीर अपनी जेब में लिए गुनगुना रहा है , तेरी सूरत से नहीं मिलती किसी की भी सूरत , हम जहां में तेरी तस्वीर लिए फिरते हैं।
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