मई 17, 2021

हम शैतान के पुजारी हैं ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

          हम शैतान के पुजारी हैं ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया 

  शोध करने पर जो नतीजा निकला वो कुछ ऐसा ही है। वो जिसने दुनिया बनाई आदमी को बनाया आदमी ने उसको मार डाला और मारने को इक शैतान बना कर उसे भगवान नाम दे दिया। पढ़ते रहे समझाया जाता रहा उसकी खोज सत्य की खोज में कितने जिज्ञासु जंगलों पहाड़ों पर भटकते रहे। मिला नहीं कभी किसी को वास्तव में जाने क्या सोचकर उन्होंने पा लिया पा लिया का शोर मचा कर सोचा लोगों की झूठी उम्मीद को टूटने नहीं देना चाहिए ताकि शायद कभी किसी को मिल जाए तो ऐसा नहीं हो लोग भूल ही गए हों कोई विधाता भी था या हो सकता है। सदियों से कितने ही शैतान दुनिया पर अपना शासन चलाते रहे हैं और सभी उनकी पूजा गुणगान इबादत ईश्वर अल्लाह क्या क्या नाम दे कर करते रहे हैं। जो जन्म देता है माता पिता की तरह वो प्यार करता हैं खुद सब देता है बदले में मांगता नहीं कुछ भी मगर संतान उसी से शिकायत करती है नाराज़ रहती है पर डरती नहीं कभी अपने जन्मदाता से भयभीत होने की ज़रूरत होती नहीं है। बच्चा बढ़ा होकर शिक्षक से डरता है क्योंकि उसके हाथ में दंडित करने और उत्तीर्ण या अनुतीर्ण करने का अधिकार रहता है। ऐसे ही शिक्षक पढ़ाते हैं उनको भगवान से पहले नमस्कार करना चाहिए और शिक्षा देने को दान बतलाकर बदले में गुरुदक्षिणा में जितना देते हैं उस से बढ़कर मांग लेते हैं। माता पिता और भगवान भला अपनी संतान अपने बच्चों से ऐसा करते कारोबार करते क्या। 
 
कोई भी भगवान कहीं नहीं है अगर होता तो ये सब जो सामने होता दिखाई देता है चुपचाप देखता रहता कहीं ऊपर आसमान पर बैठा कदापि नहीं। अन्याय अत्याचार करने वालों ने नादान भोले अच्छे लोगों को अपने अधीन बनाने को उपरवाले की झूठी कथाएं मूर्तियां आकार देकर अपना उल्लू साधने की बात की है। अधिकांश से सब छीनकर अपना आधिपत्य जमा उसको भगवान विधाता भाग्य की मर्ज़ी बताया है। शैतान खुद को शैतान नहीं महान कहलवाना चाहता है ये खुद धर्म वाले पढ़कर सुनाते हैं हम असलियत को नहीं समझते और सर झुकाते हैं। जिसको लोग मसीहा समझते हैं चलो आज उसकी गाथा सुनाते हैं बीते ज़माने की नहीं जो आज है जिसे कल अपने देखा था पर पहचाना नहीं उस से मिलवाते हैं। हां वही जो महल दुमहले बनवाते हैं मौज मस्ती करते हैं झूमते हैं गुनगुनाते हैं सभी को भूखा रखते हैं खुद खीर हलवा पूरी खाकर भगवान होने का दम भरते हैं क्या देखने पर शैतान के बाप नज़र नहीं आते हैं। दुनिया भर पर शासन करने वाले आदमी को इंसान बनकर जीने नहीं देते बेबस लोगों पर ज़ोर आज़माते हैं ताकतवर के सामने वो भी सर झुकाते हैं। ये वो दुनिया है जहां इंसान नहीं रह सकते शैतान बनकर रह जाते हैं। शैतान की दुनिया का मंज़र अभी आपको दिखलाना है भगवान नहीं है इस बात को समझाना है। 
 
टीवी चैनल वाला मज़बूर होकर देश की वास्तविकता दिखा रहा है लोग कैसे बदहाली में बेमौत मर रहे हैं शासक चैन की बंसी बजा रहा है। हर शासक आपको झूठे आंकड़े दिखाकर बहला नहीं रहा भटका रहा है सबको असली चेहरा नज़र आ रहा है। जो लोगों को बचाने की बात कह रहा है उसको सब पता है सब जानकर अनजान बन दिखा रहा है। देश भर में अस्पतालों की बदहाली सामने खड़ी है अस्पताल स्कूल छोड़ शासक अपनी दुनिया सजा रहा है। मंदिर मस्जिद गिरजाघर गुरूद्वारे गली गली हैं बस ज़िंदगी बचाने को स्वास्थ्य सेवा को सालों से शासक भुलाकर मौज मना रहा है। शैतान को बड़ा मज़ा आ रहा है खड़ा हुआ है जगह मुस्कुरा रहा है। सत्ता वालों को सरकार नेताओं अधिकारी वर्ग को पैसे नाम शोहरत के भूखे धनपशु लोगों को समझ नहीं आ रहा है कौन स्वर्ग सी दुनिया को अपनी खुदगर्ज़ी लालच हवस की खातिर नर्क से बदतर बना रहा है। पहचान लो जो भी आपको हर जगह नज़र आ रहा है सबसे बड़ा शैतान है खुद को मसीहा कहलवा रहा है भगवान के नाम पर क्या क्या कर रहा है इंसानियत को ख़त्म कर खुद पर इतरा रहा है।



 

 

 

 

 

 

 

 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

बहुत सार्थक लेख सर👍👌