मई 07, 2021

इस हक़ीक़त को फ़साना समझना ( आधुनिक व्यंग्य कथा ) डॉ लोक सेतिया

    मैं इक चोर मेरी नहीं रानी , तू मेरा राजा जनता तेरी रानी 

                  ( आधुनिक व्यंग्य कथा ) डॉ लोक सेतिया 

                             इस हक़ीक़त को फ़साना समझना। 

वैधानिक चेतावनी की तरह शुरुआत में छोटे छोटे शब्दों में लिख देते हैं ये इक काल्पनिक कहानी है किसी व्यक्ति से इसका कोई ताल्लुक इत्तेफ़ाक़ हो सकता है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना कदापि नहीं है। बाद में सामने अभिनय करने वाले दिखाई देते हैं तब आपको समझने में ज़रा देर नहीं लगती ये किस जाने माने व्यक्ति की छवि है। मिलिए इन सभी से आपको मिलवाते हैं पहचान का ध्यान रखना आपका काम है। 

निर्माता निर्देशक :- 

असली खेल उन्हीं का है बाकी सभी खिलाड़ी उनके ख़ास अपने हैं जिनको हर डायलॉग की शुरुआत उनके नाम से करनी होती है। जब उनका शासन है तो सब लाजवाब बेमिसाल है वो रात को दिन बना सकते हैं दिन को तारे दिखला सकते हैं। सच को झूठ झूठ को सच बना सकते हैं देश क्या विदेश तक कठपुतलियां बनाकर अपनी उंगलियों पर नचा सकते हैं। अच्छे दिन की बात कहकर ऐसी हालत पर देश को पहुंचा सकते है कि लोग कुछ नहीं कर सकते न रोकर आंसू बहा सकते हैं न हंसकर गा सकते हैं मन की बात सुनते हैं खुद दिल की दास्तां नहीं सुना सकते हैं। चिड़िया चुग गई खेत कुछ नहीं हो सकता पछता सकते हैं। खुद आफ़त को घर बुलाया नहीं पीछा छुड़ा सकते हैं। लोग ज़िंदा रहें या मर जाएं जनाबेआली रंगरलियां मना सकते हैं। उनके इशारे पर सब होता है मनमर्ज़ी चलाकर दिखला सकते हैं आपको सपने दिखाकर आपका सब चुराकर चौकीदार से बढ़ते बढ़ते साहूकार बनकर आपको अपना कर्ज़दार बना सकते हैं। गब्बर सिंह की तरह सिक्का उछालकर हर बारकिस्मत आज़मा सकते हैं दोनों तरफ उनकी जीत का राज़ आखिर समझा सकते हैं। 
 

नायक अभिनेता :- 

आपको शराफ़त छोड़ कर डॉन बनकर रहने की हिंसा की गुंडागर्दी की उल्टी राह पर चला सकते हैं। भूखे गरीब का किरदार निभाते हुए करोड़ों कमा कर दिखला सकते हैं। सब जो भी कोई पैसे देकर बेचने को कहे बिकवा सकते हैं। असली नकली का खेल क्या है उलझा कर जो खुद खाना नहीं चाहते दुनिया को खिला सकते हैं। आपको चिंतामुक्त करने का तेल बताकर चिंता अपनी मिटा सकते हैं। आपको करोड़पति बनने का राज़ नहीं बताते करोड़पति बनाने के नाम पर खुद माल कमाकर दिखला सकते हैं। अपनी फ़िल्मी कहानी के किरदार नहीं हैं ये कहलाते हैं महानायक पर नायक कहलाने के हकदार नहीं हैं। पैसे का इनसे बढ़कर कोई बीमार नहीं है झूठ वाला कोई और ऐसा फनकार नहीं है। 
 

महमान कलाकार नाचने गाने वाले और प्रयोजक :-

 कोई बाबा है कोई बड़ा धनवान कोई बिचौलिया कोई धर्म का खिलाड़ी ये सब लगते हैं अनाड़ी वास्तव में हैं बदले रूप में गिरधारी भगवाधारी अनाचारी जिनको चाहिए दुनिया सारी की सारी। कोरोना नहीं है इनसे बड़ी माहमारी जिनकी है उपरवाले से मतलब की यारी। योग से रोग को कैसा भगाया है हर किसी ने उनकी बात को आज़माया है खोया है मगर नहीं हाथ कुछ भी आया है। कोई नहीं समझा खोया है हमने उसने पाया है जो कहता है झूठी मोह माया है। हर चीज़ पर लेबल अपने नाम का लगाया है टीवी पर सभी चैनल पर उसका पड़ा साया है। असली नकली में उलझकर खूब माल बनाया है काला सफेद होकर चमकता है डिटर्जेंट बनाया है।  देशभक्ति और धर्म को मिलाकर चूर्ण बनाया है जिनको खिलाया उनके मन भाया है अच्छे अच्छों को पागल बनाकर खुद को सभी का बाप बताया है। 

पटकथा डॉयलॉग नृत्य निर्देशक :- 

लखुकथा जैसी कहानी है बिल्ली शेर की नानी है। इक बेटा है और इक नई नई बहुरानी है। दोनों को जिस जिस ने सर पर बिठाया है पलकों पर बिठाना ठीक था अपने सर पर चढ़ाया है उसी ने सर पर नाचकर सितम ढाया है। किसी को इतना मत चाहो कि खुदा समझने लगे शायर कहता है सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा , इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा। राजनेता हों या कारोबारी होते हैं भिखारी बनकर शिकारी दिखलाते हैं मक्कारी। मसीहा दुनिया में कोई नहीं है ये सच है बुरे सब हैं मगर ऐसे खराब लोगों से बढ़कर बुरा कोई नहीं है। कोरोना से बचते फिरते हो इनसे कैसे जान बचाओगे हर जगह यही नज़र आएंगे घबराओगे मर जाओगे।  इनकी बनाई हर कहानी झूठ की दास्तान है ये कहते हैं कुछ करते हैं कुछ और नहीं समझते इनके तरीके हैं क्या और क्या हैं तौर बन बैठे हैं सिरमौर अजब है ये दौर। गरीबी भूख शिक्षा रोज़गार सब समस्याओं से बढ़कर समस्या खड़ी है सांस लेने को हवा नहीं है मौत बिना मांगे मिलती है।
 

 



1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

बढ़िया व्यंग्य👌