सब के वादों का न एतबार करो (ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
सब के वादों का न एतबार करोउनके आने का न इंतज़ार करो ।
कुछ नहीं मिलता यहां वफ़ा करके
तुम खता ऐसी न बार बार करो ।
उसने पूछा था बड़ी अदा से कभी
कह दिया हमने , हमें न प्यार करो ।
धड़कनों पर ही न इख्तियार रहे
इतना तो दिल को न बेकरार करो ।
भर के बाहों में उसे था चूम लिया
यूं तो ख़्वाबों को न गुनाहगार करो ।
बेवफा अहले जहां हुआ "तनहा"
तुम वफाएं अब न बार बार करो ।
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