तुम सिखाते रहे दोस्ती ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
तुम सिखाते रहे दोस्तीलोग बनते गए अजनबी।
आज हमसे मिले आप जब
मिल गई तब हमें ज़िंदगी।
आपने क्या ये जादू किया
लूट दिल ले गई सादगी।
हाल ऐसा हमारा हुआ
दूर होकर हुए पास भी।
हम मिलेंगे कभी तो कहीं
देखनी बस है दुनिया वही।
तुम न होना कभी अब जुदा
हमसे वादा करो तुम यही।
आ भी जाओ खुला दर मेरा
इक यही बात "तनहा" कही।
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