हद से अब तो गुज़र गये हैं लोग ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
हद से अब तो गुज़र गये हैं लोग
जाने क्यूँ सच से डर गये हैं लोग ।हमने ये भी तमाशा देखा है
पी के अमृत भी मर गये हैं लोग ।
शहर लगता है आज वीराना
कौन जाने किधर गये हैं लोग ।
फूल गुलशन में अब नहीं खिलते
ज़ुल्म कुछ ऐसा कर गये हैं लोग ।
ये मरुस्थल की मृगतृष्णा है
पानी पीने जिधर गये हैं लोग ।
1 टिप्पणी:
पीके अमृत👌👍 ये मरुस्थल...जिधर गए हैं लोग wahh
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