अब हर किसी को अपना बताने लगे हैं (ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
अब हर किसी को अपना बताने लगे हैंलेकिन हमीं से नज़रें चुराने लगे हैं ।
अंदाज़ उनकी हर बात का अब नया है
लेकिन हमें मतलब समझ आने लगे हैं ।
जब से कहानी अपनी सुनाई किसी को
सारे ज़माने वाले सताने लगे हैं ।
हमने नहीं जाना अब किसी और घर में
बस आपके घर आए थे , जाने लगे हैं ।
बेदाग़ कोई आता नज़र अब नहीं है
सब आईना औरों को दिखाने लगे हैं ।
लिखवा लिया हमने बेवफा नाम ,जब से
"तनहा" हमें आकर आज़माने लगे है ।
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