जुलाई 21, 2012

मन की बात ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

       मन की बात ( कविता ) डॉ  लोक सेतिया 

देख कर किसी को
बढ़ गई दिल की धड़कन
समा गया कोई
मन की गहराईओं में
किसी की मधुर कल्पनाओं में
खोए  रहे रात दिन
जागते रहे किसी की यादों में
रात - रात भर करते रहे
सपनों में उनसे मुलाकातें ।

चाहा कि बना लें उन्हें
साथी उम्र भर के लिए
हर बार रह गया मगर
फासला कुछ क़दमों का
हमारे बीच ।

उनकी नज़रें
करती रहीं इंतज़ार 
खामोश सवाल के जवाब का
पर हम साहस न कर सके
प्यार का इज़हार करने का कभी ।

समझ नहीं सके वो भी
हमारी नज़रों की भाषा को
और लबों पे ला न पाए
दिल की बात कभी हम । 


                                                       

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

बहुत खूब👌