जुलाई 18, 2012

उमंग यौवन की ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

   उमंग यौवन  की ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

ये मस्ती
ये अल्हड़पन
ये झूम के चलना
ये हर पल गुनगुनाना
ये सतरंगी सपने बुनना
ये हवाओं संग उड़ना
ये भीनी भीनी खुशबु
ये बहारों का मौसम
ये सब है तुम्हारा आज
ओर है सारा जहाँ तुम्हारा।
जी भर के जी लो
आज तुम इनको
कुछ ऐसे कि
याद रह जाए उम्र भर 
इनका मधुर एहसास।

यौवन में
कदम रखता हुआ 
अठाहरवां साल है ये।

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