अगस्त 10, 2025

POST : 1994 नकली की शान है मौला ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

          नकली की शान है मौला  ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया  

हद से अब तो गुज़र गये हैं लोग ( ग़ज़ल ) 

डॉ लोक सेतिया "तनहा"

हद से अब तो गुज़र गये हैं लोग
जाने क्यूँ सच से डर गये  हैं लोग ।

हमने ये भी तमाशा देखा है
पी के अमृत भी मर गये  हैं लोग ।

शहर लगता है आज वीराना
कौन जाने किधर गये  हैं लोग ।

फूल गुलशन में अब नहीं खिलते
ज़ुल्म कुछ ऐसा कर गये  हैं लोग ।

ये मरुस्थल की मृगतृष्णा है
पानी पीने जिधर गये हैं लोग । 
 
ग़ज़ल से शुरू करते हैं कविता से अंत करते हैं ये कोई शर्त नहीं आसानी से बात कहना है । 
 
अब हमारे देश को नवीन कीर्तिमान स्थापित करने से कौन रोक सकता है ,  जिधर देखते हैं नकली का परचम फ़हरा रहा है । सर्च करने पर मालूम होता है कि आज किस किस जगह क्या क्या नकली निकले हैं । मिलावट होने लगी है सामान से इंसान तक असली हैं या नकली हैं कोई नहीं जानता , इधर नकली डॉक्टर पकड़े गए थे उधर नकली आईएएस अधिकारी मिल गए हैं । नकली सर्टीफिकेट से वोटर तक नकली साबित हुए हैं अब जाने किस की बारी है कहीं नकली ईमेल आयकर विभाग का मिला है आये दिन चेतावनी मिलती है सावधान रहें नकली पुलिस या जांच अधिकारी बनकर कोई आपको ठग सकता है । सरकारी विभाग खुद साबित कर रहे हैं कि आपको धोखा लूट से बचाने को सरकारी तंत्र असफल ही नहीं बल्कि शायद अपना कार्य करने में काबिल ही नहीं है । इसका मतलब भी यही है कि वो सब भी दिखावे को हैं वास्तव में उनका होना नहीं होना कोई महत्व नहीं रखता है । कभी असली का प्रमाणपत्र मिलता था किसी नाम या कारोबारी पेटेंट इत्यादि के रूप में आजकल राजनेता अधिकारी क्या देशभक्त देशसेवक तक नकली अधिक हैं असली कहीं नहीं मिलता जो देश को समर्पित हो । आप क्या क्या परखेंगे और कैसे झूठ को झूठ साबित करेंगे जब हर कोई नकली प्रमाणपत्र बनवाये घूमता है शराफ़त ईमानदारी और शुद्ध पुण्यात्मा होने का । फेसबुक से सोशल मीडिया तक चेहरा और चाल चलन इतने गुमराह करने वाले हैं कि नकली की निराली शान है असली खुद हैरान परेशान है । अख़बार टीवी चैनल पर सच कभी का क़त्ल किया जा चुका है न्यायालय और संवैधानिक संस्थाओं में आईसीयू में गंभीर दशा में है पल दो पल का महमान है ।  लोकतंत्र से मौलिक अधिकार तक गिड़गिड़ा रहे हैं मानवाधिकार बेचैन हैं उनकी जगह कितना कुछ देश समाज में देखने को उनकी शक़्ल जैसा लगता है लेकिन वास्तविक आचरण में बिल्कुल उलट और नकली है । नकली असली से अधिक चमकदार और सभी की पसंद बनकर खड़ा है , समझने को इतना ही बहुत है । नकली नोट हाथी के नकली दांत नकली दवाएं सुनते थे अब सरकार की असलियत तक पर शंका होने लगी है ।
 
असली क्या है नकली क्या है पूछो दिल से मेरे , भावनाएं तक असली नहीं हैं , सुनते थे पढ़ते थे महान लोग नायक असली चरित्र के लोग हुआ करते थे आजकल चलन से बाहर किए जा चुके हैं । नकली चाल चलन और मुखौटे लगाए लोग हमको भाने लगे हैं हम भगवान जिनको बनाने लगे हैं जो ठोकर हमको लगाने लगे हैं हम आख़िर हमेशा पछताने लगे हैं । सब अपनी हक़ीक़त छुपाने लगे हैं कहानी कोई झूठी बनाने लगे हैं गज़ब है खुद अपने को खुद मिटाने लगे हैं जिधर जाना नहीं कभी आने जाने लगे हैं । आस्मां पर ठिकाने बनाने लगे हैं ज़मीं से अलग होकर टूटे हुए दिल मुहब्बत के फ़साने सुनाने लगे हैं रोने की बात पर हंसने मुस्कुराने लगे हैं । नकली का बाज़ार सजा है सपनों ने हर बार ठगा है लेकिन हम समझदार होने का दम भरने वाले झांसों में फंस कर पतझड़ को बहार बताने लगे हैं हर दिन पहले से नीचे गिरते हैं राई को पहाड़ बताने लगे हैं । असली कुछ बचा नहीं हमारे देश समाज में नकली का बोलबाला है असली मदिरा नहीं है मयकदे का कोई टूटा प्याला है ये दौर बड़ा ही निराला है गोरा है दिल का काला है उस हाथ में मोतियों की माला है । सोना चांदी हीरे और जवाहरात पर ख़ालिस होने की मोहर लगी है खुद पहनने वाला बाहर से कुछ भीतर से कुछ और लगता है पग पग पर यही घोटाला है ।  शिक्षक तक नकली हैं तो पढ़ाई भी क्या होगी , नकली पुलिस का दफ़्तर खोल लोग मिसाल कायम करने लगे हैं ज़हर भी नकली है लोग ज़हर पीकर ज़िंदा हैं अमृत पी कर मरने लगे हैं । 
 
बहुत साल पहले लिखी हास्य व्यंग्य की कविता ब्लॉग पर 2012 में पब्लिश है शेयर कर रहा हूं । 
 
 

मिलावट ( व्यंग्य - कविता ) डॉ लोक सेतिया

यूं हुआ कुछ लोग अचानक मर गये
मानो भवसागर से सारे तर गये ।

मौत का कारण मिलावट बन गई
नाम ही से तेल के सब डर गये ।

ये मिलावट की इजाज़त किसने दी
काम रिश्वतखोर कैसा कर गये ।

इसका ज़िम्मेदार आखिर कौन था
वो ये इलज़ाम औरों के सर धर गये ।

क्या हुआ ये कब कहां कैसे हुआ
कुछ दिनों अखबार सारे भर गये ।

नाम ही की थी वो सारी धर-पकड़
रस्म अदा छापों की भी कुछ कर गये ।

शक हुआ उनको विदेशी हाथ का
ये मिलावट उग्रवादी कर गये ।

सी बी आई को लगाओ जांच पर
ये व्यवस्था मंत्री जी कर गये ।  
 
 
 CM नीतीश कुमार के नालंदा में शान से नौकरी बजा रहे हैं फर्जी शिक्षक
 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

Aaj k daur m asli nakli ki pehchan krna mushkil hai👍👌