अक्तूबर 28, 2023

आप की खातिर ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

           आप की खातिर ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया  

सहे ग़म उसकी ख़ुशी की खातिर 
तो मुस्कराए उसी की खातिर । 
 
हमारा मरना जो चाहता था 
जिये हम उस आदमी की खातिर । 
 
जो शहर में तेरे लौट आये 
है दिल की ये बेबसी की खातिर । 
 
ये ज़िंदगी जिसकी है अमानत 
पिया है ये ज़हर उसी की खातिर । 
 
मुआफ़ करना कि डूब कर की 
ये ख़ुदकुशी आप ही की खातिर । 
 

 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

Whhh bahut bdhiya ashaar👌👍