तन्हाई ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
उनसे कोई मुलाक़ात तो हो
ख़ामोशी में भी बात तो हो ।
हैं क़ाली घटाएं और बिजलियां
कोई प्यार की बरसात तो हो ।
शबे-हिज्र और ये अंधेरा
चांदनी कोई रात तो हो ।
अजनबी से मौसम की बात
कुछ कहने की शुरुआत तो हो ।
कल जो भी होना हो जाए
ख़त्म आज की रात तो हो ।
( 12 अगस्त 1995 )
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