सदाएं ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
ग़ैरों को हम अपना कहते हैं
हमसे अपने ही खफ़ा रहते हैं ।
यहां कोई किसी का नहीं
तेरे शहर में लोग कहते हैं ।
तूफ़ां उठता है कोई दिल में
जब भी उनके अश्क़ बहते हैं ।
हक़ उन्हीं का है इस पे
मुहब्बत के जो दर्द सहते हैं ।
कहीं न जा सकेंगे अब
वो इस दिल में रहते हैं ।
आसमां के सितारे भला
कब ज़मीं पे रहते हैं ।
( 21 मार्च 1996 )
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