अक्तूबर 31, 2023

सदाएं ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया

                    सदाएं ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया  

ग़ैरों को हम अपना कहते हैं 
हमसे अपने ही खफ़ा रहते हैं । 
 
यहां कोई किसी का नहीं 
तेरे शहर में लोग कहते हैं । 
 
तूफ़ां उठता है कोई दिल में 
जब भी उनके अश्क़ बहते हैं ।
 
हक़ उन्हीं का है इस पे 
मुहब्बत के जो दर्द सहते हैं । 
 
कहीं न जा सकेंगे अब 
वो इस दिल में रहते हैं । 
 
आसमां के सितारे भला 
कब ज़मीं पे रहते हैं । 
 
                                ( 21 मार्च 1996 )  
 

 

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