अक्टूबर 06, 2023

हुआ फ़ैसला थम गया शोर ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

    हुआ फ़ैसला थम गया शोर  ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया 

सरपंच जी दोनों मौसेरे भाईयों को देख कर हैरान परेशान थे , उनकी दोस्ती के कायल थे किस बात पर आपस में तकरार करते उनके पास आये हैं । दोनों से करीबी रिश्ता है हमेशा सुःख दुःख में काम आते हैं सरपंच जी किसी का पक्ष ले सकते हैं न विरोध ही कर सकते हैं । चोर शोर मचाए हुए था पहले उसी को खामोश करवाना लाज़मी था ये सोच कर सरपंच जी ने उसी से कहा घबराओ नहीं चिंता नहीं करो यहां इंसाफ़ किया जाएगा बस आप सारी झगड़े की बात सच सच और पूरी बताओ । चौकीदार जी आपको अभी चुप रहना है बीच में नहीं बोलना बाद में आपको भी अवसर मिलेगा । 
 
चोर ने बताया मामला कुछ महीने पहले का है शहर में चोरियां गुंडागर्दी बढ़ गई थी राज्य सरकार ने बड़ी शानदार मोटर बाइक्स पुलिस को मुहैया करवाई थी गश्त लगाने को । जैसा सरकारी तौर होता है अधिकारी ने बाकायदा झंडी दिखला कर उनकी शुरुआत की थी और थोड़े दिन बाद सिलसिला ख़त्म हो गया लोग भूल गए क्या हुआ क्या होता रहा आगे होगा क्या । मैं और मेरे साथी चौकीदार जी से मिले जैसे औपचारिक मुलाकात होती रहती हैं इक दूजे की ख़ुशी ग़म में शामिल होने की । चौकीदार जी के गोदाम में कितनी नई नवेली खूबसूरत बाइक्स देख हम आचंभित थे कीमत पूछी तो काफ़ी महंगी थी लेकिन सरकार को याद तक नहीं उनका क्या हुआ । चौकीदार जी हमेशा योजनाएं बनाते रहते हैं और हम मिलकर उनको लागू करते रहते हैं । उन्होंने हमें वो बाइक्स उपलब्ध करवा दी बदले में हर महीने इक राशि किश्त की भरते रहे हम लोग । चौकीदार का करिश्मा था कि सीसीटीवी कैमरे पर बाइक्स थाने में खड़ी नज़र आती थी और ऐसा तय किया गया था कभी अपराध करते पकड़े जाने पर चौकीदार की गवाही सीसीटीवी कैमरे के सबूत काम आएंगे । 
 
अचानक चौकीदार ने अनुबंध ख़त्म करने की बात कही है और सब साथियों से बाइक्स लौटाने का फ़रमान जारी किया है । चौकीदार जानता है चोरी का असूल है काम करते सबूत को ठिकाने लगाना इसलिए जब भी कोई बड़ा अपराध गंभीर जुर्म करते हैं उन बाइक्स का नामो निशान मिटाना ज़रूरी होता है । हालांकि सरकारी सभी विभागों में कर्मचारी बदलते रहते हैं लेकिन धंधा चलता रहता है नए नियुक्त लोग पुराने की चलती परंपरा को आगे बढ़ाए जाते हैं । ये पहली बार हुआ है इन्होने सबको मोटरबाइक्स वापस लाकर जमा करवाने और इक नया अनुबंध करने की शर्त रख दी है जो असंभव है । 
 
चोर की बात ख़त्म हुई तब चौकीदार की बारी आई तब उस ने कहा चोर की बात सही है लेकिन थानेदार जी का आदेश है अब उनके इलाके में उनके ख़ास प्रशिक्षित चोर ही कारोबार कर सकते हैं ये बाइक्स उनको उपलब्ध करवानी हैं । किश्त की बात नहीं अब बराबर हिस्सा बांटने की बात होती है लेकिन बाइक्स का कोई अता पता नहीं है कैसे कोई वापस जमा करवाए । सरपंच जी ने दोनों को शांत रहने को कहा है और खुद कोतवाल साहब से मिलकर रास्ता निकालने की बात की है । सरपंच जी जानते हैं समझौता कैसे करवाते हैं और बंदर बिल्लियों की रोटी कैसे ख़ुद खाता है  , दो लोग लड़ते हैं तब तीसरा भांजी मारता है यही रिवायत है । सियासत की यही शराफ़त है बस मुहब्बत है ईनायत है इक आफत है मुसीबत है ।  
 

( स्पष्टीकरण :-  

आजकल रोज़ स्कूटी और बाइक्स वाले राह चलते लोगों को घायल कर भाग जाते हैं ये उन की बात हर्गिज़ नहीं है उन पर कोई यातायात नियम लागू करना पुलिस की प्रथमिकता नहीं है क्योंकि कितने लोगों की रोज़ी-रोटी ऐसी दुर्घटनाओं से चलती है। )

 

 

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