रुसवाईयां ( नज़्म ) डॉ लोक सेतिया
न बार बार आज़माया करो
यूं ही न दिल को जलाया करो ।
वो न बदलेंगे कभी
न ये उम्मीद लगाया करो ।
जहां होती हो रुसवाई
न उस गली में जाया करो ।
मिले जो चुरा के नज़र
उसे न कुछ समझाया करो ।
झूठ के चाहने वालों को
सच न कोई बताया करो ।
फ़रेब हर बात में है
इन बातों में न आया करो ।
कभी जो प्यार से नहीं मिलता
न उसे घर बुलाया करो ।
( 13 अक्टूबर 1995 )
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