मई 25, 2024

आधुनिक धर्मकथा ( व्यंग्य-अध्याय प्रथम ) डॉ लोक सेतिया

   आधुनिक धर्मकथा ( व्यंग्य-अध्याय प्रथम ) डॉ लोक सेतिया 

प्रभु हमेशा की तरह विश्राम की मुद्रा में हैं , श्रीमती जी बैठी आनंद पूर्वक निहार रही थी । उधर धरती पर चुनाव का अंतिम चरण जारी था । अपने परमेश्वर पति से बोली भगवन अब तो बता दो भविष्य कौन क्या होने वाला है । आपने पिछली बार बताया था कि सब को अपने अपने कर्मों का फल मिलता है और क्योंकि उस देश और उस के अन्य राज्यों की जनता ने जो अपराध किए थे अपना फ़र्ज़ ईमानदारी से नहीं निभा कर उन सभी पापों का फल उनको ऐसी सरकार और नेता मिलने ही थे । हम भी देखते रहे आपको भी दिखाई देता रहा जनता को असहनीय पीड़ा अनगिनत परेशानियां झेलनी पड़ी हैं । आपको भी दया आती होगी त्राहि त्राहि की वाणी सुन सुन कर , थोड़ा तो रहम करो उनके गुनाह इतने भी बड़े नहीं थे हां स्वार्थी होकर आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बर्बाद कर जैसे भी हो अपने लिए मनचाहे ढंग से जीने को न्याय नैतिकता सामाजिक मर्यादाओं को भुला बैठे थे । लेकिन बदले में ऐसी सरकार मिली जिस ने उनको सुंदर सपनों की उम्मीद से अपने जाल में ऐसा फंसाया कि आह भरना भी उनका अपराध समझा जाने लगा है । क्षमा करें आपका इंसाफ़ सभी को बड़ा ही अजीब लगता है , जनता की नासमझी नादानी की सज़ा दी गई लेकिन जिनको आपने सत्ता दिलवाई मगर उन्होंने सभी पुरानी सरकारों से बढ़कर ज़ुल्म ढाने का कीर्तिमान स्थापित किया उनके किये गुनाहों की कोई भी सज़ा कैसे देंगे क्या ये भी आपने कभी सोचा है । अन्यथा मत लेना लेकिन उनके सभी अमानवीय कृत्य और अत्याचार क्या इसलिए क्षमा कर सकते हैं कि उन्होंने ये सब किया भी धर्म और इक ईश्वर के नाम पर ।  
 
तभी नारदमुनि जैसा कोई बिना किसी बुलावे अथवा पूर्व सुचना उपस्थित हुए , कहने लगे भगवान कभी किसी को अपनी योजना नहीं बताते हैं । आप को बताना और भी कठिन है क्योंकि महिला होने से आप कब किसी और महिला मित्र को राज़ बताएं भगवान क्या कोई भरोसा नहीं करता है । लेकिन असली परेशानी और है कि आपको हर पत्नी की तरह पति चाहे कितना ही अच्छा हो उनकी कमज़ोरी या मज़बूरी की जानकारी हो जाए तो जन्म जन्म तक उसे याद दिलवा कर किस सीमा तक घबराने को विवश कर देती हैं । आपको चुनाव के सही आंकड़े तो नहीं बता सकता लेकिन जो आंकड़े प्राप्त हुए हैं वो साबित करते हैं कि दुनिया भर के तमाम पति ये सितम सहने को विवश हैं । भगवान पर भरोसा करो उनको ऐसी दुविधा में मत डालो कि उनकी वाणी कंठ से निकलने ही नहीं पाए ।  मेरा आग्रह है करबद्ध निवेदन है कि इतने साल प्रतीक्षा की है तो थोड़ा और कुछ दिन नतीजों का इंतज़ार करते हैं । जनता जानती है उसने अपनी भूल को किस तरह सुधारना है , हां जिनकी सांस अटकी हुई है उन से किसी को कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए । महिलाओं की दशा किसी भी दुनिया में बदलती नहीं है , हर दुनिया का कोई पुरुष भाग्य विधाता बन कर महिलाओं की शिकायत को अनसुना ही करता है समझ रहे हैं सभी ऊपर से नीचे तक ।

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1 टिप्पणी:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

प्रभू ने परभू मोई के पास नारद जी को भेजना चाहिए पूछने के लिए :)