भगवान आपने क्यों किया ऐसा ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया
जीवन भर जिसका इंतज़ार था आखिर वो पल आ ही गया। मौत का इतना लंबा इंतज़ार भला कौन करता है। भगवान सामने थे अब और देरी नहीं करनी चाहिए। अभिवादन किया और बोल दिया आपको मालूम तो होगा मुझे इस क्षण का कितना इंतज़ार रहा है। भगवान कहने लगे जानता हूं सभी को मेरे दर्शन की लालसा रहती है मगर अभी मुझे चित्रगुप्त जी से आपका बही-खाता मंगवाना है। मैंने कहा भगवान क्या आपने भी भारत सरकार की तरह अपने आमदनी खर्च का विवरण को यही नाम दे दिया है। भगवान बोले नहीं नादान ये कोई बजट की बात नहीं कि आपको बीस लाख करोड़ में कुछ भी मिलना भी है या नहीं ये तो आपका हिसाब किताब है। मैंने कहा क्या देखना मुझे पता है मैंने आपके मंदिर में इक दो रूपये से अधिक दानपेटी में नहीं डाले मगर मैंने बदले में कुछ मांगा भी नहीं था। जानता था आपको लाखों करोड़ों देने वाले सोने चांदी के गहने मुकट आसन जाने क्या क्या भेंट करने वाले भक्त हैं उनकी इच्छाओं को ही पूर्ण करना आपको कठिन लगता होगा। मुझ जैसे जो सच में भक्ति का अर्थ नहीं समझता कोई भजन कीर्तन आरती नहीं गाता जिसे आपको खुश करने को गुणगान करना आपके नाम की माला जपना नहीं आता उसकी मनोकामना का कोई महत्व ही क्या होगा। हां किसी किसी दिन शायद जब हद से ज़्यादा परेशान हुआ कोई फरियाद की थी वो भी शिकायत की तरह। अब बस भी करो भगवान और दुःख दर्द नहीं सहे जाते। मगर लगा तब इतना अधिक शोर था कि तुम तक मेरी सिसकियों की आवाज़ पहुंची भी कहां होंगी।
भगवान को अभी तक मेरा लेखा-जोखा वाला पन्ना नहीं मिला था इसलिए कहने लगे शायद ये 1951 के साल का बही खाता नहीं है अब इतना पुराना हो गया कि वर्ष साफ पढ़ने में नहीं आया और किसी साल का उठा लाया अभिलेख कक्ष से। मैंने कहा भगवान मेरा कर्मफल बाद में देखते रहना और अभी कोई सज़ा बची हो तो दे लेना कोई ना- नुकर नहीं करूंगा। मगर ज़रा अपने हिसाब पर भी निगाह डालते आपने क्यों किया ऐसा। भगवान हैरान मैंने क्या क्यों किया क्या कहना चाहते हो। मैंने कहा भगवान होना अपनी जगह इंसान होना अपनी जगह मगर नियम असूल सब पर बराबर होने चाहिएं। आपकी भगवान कहलाने की चाहत ने धरती पर क्या चलन चलाया है कि सबका जीना दुश्वार कर दिया है। भगवान अचंभित होकर बोले ये क्या माजरा है ऐसा क्या है जिसका दोष मुझी पर दे रहे हो।
भगवान मुझे पता है आप सब जानते हैं मगर अनजान बन रहे हैं लेकिन मैं भी आपको मनवा कर रहूंगा आप को खुल कर साफ साफ कहना ज़रूरी है। आपको मालूम है धरती पर हर कोई अपना गुणगान करवाना चाहता है और जिनको किसी का गुणगान करना नहीं आता उनकी गिनती न नौ में होती है न तेरहां में ही। जाने क्या मिलता है आपको सुबह शाम अपना नाम जपवाने से आरती चालीसा कथा भजन कीर्तन सुनने से। कुछ लोगों की कमाई होती है उनको छोड़ अधिकतर को जो चाहते हैं कहां मिलता है सच तो ये है कि मिलता उनको है जिनको भगवान कभी याद ही नहीं रहता है। उनको याद ही पैसा कारोबार राजनीति या कुछ भी हर पल रहता है भगवान आपका नाम तो लोग अर्थी उठाते वक़्त याद करते हैं बस बाद में श्मशानघाट में भी चर्चा जाने क्या क्या होती है। वहाँ भी हर तरफ आपका गुणगान लिखा रहता है कोई देखता भी नहीं कोई समय बिताने को राम नाम लेने की बात कहता है जिसे सुनते नहीं लोग विवश होकर सुनना पढ़ता है। आपको इतना ही अच्छा लगता है तो अपने पास इक डीजे मंगवा लो आवाज़ जितनी चाहे ऊंची रखना कोई यहां आपको रोक नहीं सकेगा जब जहां अदालती कानून है वहां भी कोई नहीं मानता और पुलिस भी भगवान से डरती है सख्ती से रोकती नहीं जाकर विनती करती है थोड़ा लाऊड कम रखो।
भगवान के पास कोई जवाब नहीं था देने को कुछ सोचने लगे , मैंने कहा क्यों आई बात समझ में। तभी 1951 साल का बही - खाता ढूंढ लाया कोई। खैर मैंने कहा चलो पहले मुझे जितनी सज़ाएं देनी हैं बताओ और फैसला सुनाओ तैयार हूं मैं हर सज़ा के लिए। मगर जवाब तो देना पड़ेगा आपने क्यों किया ऐसा। अब भगवान इक लंबी सांस लेकर बोले मुझे तो याद नहीं कि मैंने कब किसी को मेरा गुणगान करने को कहा था। किसी का भी किसी को अपना नाम जपने को कहना भला कितना छोटापन होगा और मुझे दुनिया वालों से कोई अपने होने नहीं होने का सबूत क्यों चाहिए। सच्ची बात तो ये है कि मुझे पहले इस बारे किसी ने क्यों नहीं सवाल किया , मैंने भी विचार नहीं किया ये तो गलत परंपरा है किसने शुरू की। लेकिन सच्ची बात तो ये है कि हमने कभी किसी के ऐसे कामों को कोई महत्व नहीं दिया है। कोई जीवन भर राम नाम की माला जपता रहे उसको यहां हिसाब केवल उन्हीं बातों का देना पड़ता है जो भलाई या बुराई उसने सभी के साथ की। भगवान का गुणगान या अपने किसी नेता अभिनेता खिलाड़ी का गुणगान उनकी अपनी गुलामी की मानसिकता के कारण है। मैंने इंसानों को अपना गुलाम कभी नहीं बनाना चाहा और भगवान ईश्वर अल्लाह वाहेगुरु जीसस कोई भी नाम रटने से कुछ नहीं हासिल होता है। आस्तिकता भगवान को मानने का अर्थ है सभी से अच्छा व्यवहार करना अच्छाई सच्चाई की राह चलना। बेशक भगवान को भूल जाओ मगर इंसानियत को शराफ़त को कभी नहीं भुलाना। भगवान मुश्किल में हैं चाहे जिस किसी ने ये किया करवाया हो बही खाते में उनको ये अपने नाम लिखने को छोड़ कोई चारा नहीं बचता है। मुझे समझ आ गया अभी भगवान को अपना हिसाब ठीक करना है उसके बाद ही मुझे मेरा हिसाब किताब बताएंगे। इंतज़ार में खड़ा हूं।
1 टिप्पणी:
Ohh..My.. God movie yad aa gai...Badiya lekh 👌👌
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