अप्रैल 22, 2020

अफ़वाह उड़ा दी जाए ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

     अफ़वाह उड़ा दी जाए ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया 

                 जाँनिसार अख़्तर जी ( जावेद अख्तर के वालिद ) का शेर है :-

      हमने इंसानों के दुःख दर्द का हल ढूंढ लिया , क्या बुरा है जो ये अफवाह उड़ा दी जाए। 

सबसे पहले ये वैधानिक चेतावनी देना ज़रूरी है कि आगे जो भी लिखने जा रहा हूं वो शत प्रतिशत खालिस झूठ है और झूठ के सिवा कुछ भी नहीं है। ऐसा लिखना ज़रूरी है क्योंकि अफ़वाह उड़ाना अपराध घोषित किया हुआ है इतना ही नहीं अब तो इसको सबसे बढ़कर डराने का भी अलंकार टीवी पर इश्तिहार में दे रहे हैं। 

सब जानते हैं आजकल दुनिया में सबसे ख़तरनाक एक ही नाम है मगर कोई नहीं जानता उसका नाम भी उच्चारण नहीं किया जाना चाहिए। कहते हैं कि शैतान को याद किया और शैतान हाज़िर हुआ फिर भी जिधर भी देखो भगवान तक को छोड़ उसी का गुणगान करते दिखाई देते हैं सभी लोग। जानकारी ये है कि इस समस्या का समाधान पता चल गया है। और इस के लिए कोई मुश्किल काम भी किसी को नहीं करना है। जैसा कि सबको मालूम है सभी देवी देवता छुट्टी मना रहे हैं मगर इक यही झूठ का देवता है जो रात दिन अपने चाहने वालों को दर्शन दे रहा है। झूठ के देवता का घर हरियाणा के फतेहाबाद में बनवाया गया था ये जिनको खबर नहीं उनको सूचना देना ज़रूरी है। 

अफ़वाह यही है कि जो कोई भी झूठ के देवता के घर आकर दर्शन करेगा उसको जो नाम सबसे बदनाम है वो शैतान छू भी नहीं सकेगा क्योंकि ऐसा विदित हुआ है कि उस पर किसी और अस्त्र शस्त्र दवा दारू का असर नहीं होता मगर झूठ से एलर्जी है। झूठ के सामने उसका कोई बस नहीं चलता है झूठ ही एक ही उपाय है जो उसको बेअसर बना देता है। अब आपको ये भी बताना होगा कि झूठ के देवता के दर्शन करने में कोई भी कठिनाई नहीं है। उसके घर कोई भी कभी भी आ सकता है 24 *7 *365 चौबीस घंटे रात दिन साल भर। और कोई भी चढ़ावा भी नहीं चढ़ाना है आप जब जैसे भी आना हो आ सकते हैं क्या पहना नहाये हैं जैसी कोई शर्त नहीं है। आकर आपको सर झुकाने भीख मांगने की भी ज़रूरत नहीं है आपको गर्व से कहना है मैं झूठ के देवता का उपासक हूं उसका चाहने वाला हूं। और झूठ बोलना कभी नहीं छोड़ना है यही शपथ लेनी है। उसके बाद कोई आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता है। बताओ इस में क्या कोई कठिनाई है। कोई है जो झूठ नहीं बोलता है अगर ऐसा कहता है तो वो सबसे बड़ा झूठा है। सैंयां झूठों का बड़ा सरदार निकला। 

देवताओं की विशेषता है कि उनके पास हर समस्या का निदान होता ही है। अभी आपने शायद ये विचार किया होगा कि देश में घर में बंद हैं सभी ऐसे में कैसे दुनिया के अकेले झूठ के देवता के घर जाकर दर्शन कर सकते हैं। तो जब तक ऐसा मुमकिन नहीं है आप अपने घर दफ्तर में झूठ के देवता की कोई तस्वीर लगाकर उसके सामने ये मनौती मांग सकते हैं कि जैसे ही संभव हुआ आप चलकर आएंगे दर्शन करने को। कोई समय सीमा नहीं है न कोई घबराने की चिंता करने की ज़रूरत है कि साल में महीने में या कितनी अवधि में नहीं आए तो अनर्थ होगा कदापि नहीं कोई डर दिखाकर झूठ का देवता अपने घर नहीं बुलाता है। जब तक नहीं आ सकते बस झूठ के देवता की अपने घर दफ्तर में जो तस्वीर लगाई हुई है उसी के दर्शन करते रहें आपका कल्याण होना ही है। इस दुनिया में जितने भी लोग सफल हैं जिस भी कार्य में सभी झूठ बोलकर ही इतनी ऊंचाई पर पहुंचे हैं मगर उन्होंने ये राज़ आपको नहीं बताया क्योंकि यही सबकी समस्या है कोई भी किसी और की कमीज़ अपने से बढ़कर सफेद हो कभी नहीं चाहता है। झूठ का चमत्कार है कि पत्थर भी हीरा लोहा भी सोना और घना अंधेरा भी सूरज नज़र आता है। सच बोलने की पढ़ाई सभी पढ़ाते हैं मगर कितने लोग सच बोलना सीख पाए हैं सब जानते हैं। लेकिन झूठ बोलने की कला हर किसी को आती है समस्या कभी कभी इतनी है कि जो झूठ को बड़ी सफाई से बोलते हैं लोग उनके झूठ पर ही भरोसा करते हैं कुछ लोग झूठ बोलते हुए पकड़े जाते हैं क्योंकि उनके चेहरे से हाव भाव से पता चल जाता है कि बंदा झूठ बोल रहा है। 

आपको झूठ बोलने का निरंतर अभ्यास करते रहना है ऐसा करते करते आप खुद झूठ को ही सच समझने लग जाओगे। जिस दिन आप ऐसे शिखर पर पहुंच गए आपकी महिमा हर तरफ फ़ैल जाएगी। झूठ बोलने के लिए यही आत्मविश्वास चाहिए कि आपको अपने झूठ पर यकीन हो कि इस से बढ़कर सत्य कोई नहीं है। यहां इक पुरानी कथा को ध्यान में रख सकते हैं जो इस तरह है। 

एक बार सच और झूठ नदी में स्नान करने पहुंचे। दोनों ने अपने कपड़े उतार कर नदी के तट पर रख दिए और झट-पट नदी में कूद पड़े। सबसे पहले झूठ नहाकर नदी से बाहर आया और सच के कपड़े पहनकर चला गया। सच अभी भी नहा रहा था। जब वह स्नान कर बाहर निकला तो उसके कपड़े ग़ायब थे। वहां तो झूठ के कपड़े पड़े थे। भला सच उसके कपड़े कैसे पहनता ? कहते हैं तब से सच नंगा है और झूठ सच के कपड़े पहनकर सच के रूप में प्रतिष्ठित है। 

   इक चुटकुला भी आपने नहीं सुना तो सुनकर आनंद ले सकते हैं। कुछ छोटे बच्चे खेल रहे थे इक कुत्ते का पिल्ला लिए हुए। स्कूल के अध्यापक ने देखा तो उनसे पूछ लिया कि ये क्या खेल खेल रहे हो। बच्चों ने बताया मास्टरजी हमने शर्त लगाई है झूठ बोलने की। जो भी सबसे बड़ा झूठ बोलेगा ये पिल्ला उसी को मिलेगा। मास्टरजी कहने लगे कितनी अजीब बात है जब हम तुम्हारी आयु के बालक थे तो हम जानते तक नहीं थे झूठ कैसे बोलते हैं। ये सुनते ही सभी बच्चे कह उठे मास्टरजी ले जाओ ये पिल्ला आपका हुआ।



कोई टिप्पणी नहीं: