हमें चाहिए वो पुराना ज़माना ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"
हमें चाहिए वो पुराना ज़माना
मिला सबको करता था जब आबो दाना ।
फ़रिश्ते तुझे अब बताना पड़ेगा
बचा है कहीं पर हमारा ठिकाना ।
बड़ी खूबसूरत थी सोने की चिड़िया
कहानी वही फिर हमें मत सुनाना ।
कहां ले के आईं उड़ानें तुम्हारी
कभी एक दिन सच सभी को बताना ।
कहोगे न जाने अभी और क्या क्या
हो फ़रमान जो भी पड़ा सर झुकाना ।
दिखाए तो हमको बहुत ख्वाब लेकिन
ज़रूरी न समझा था ताबीर लाना ।
हैं शीशे के उनके महल सारे "तनहा"
बना जोड़ तिनके तेरा आशियाना ।
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