दिसंबर 21, 2012

गए भूल हम ज़िन्दगानी की बातें ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

गए भूल हम ज़िन्दगानी की बातें ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया "तनहा"

गए भूल हम ज़िन्दगानी की बातें
सुनाते रहे बस कहानी की बातें।

तराशा जिन्हें हाथ से खुद हमीं ने
हमें पूछते अब निशानी की बातें।

गये डूब जब लोग गहराईयों में
तभी जान पाये रवानी की बातें।

रही याद उनको मुहब्बत हमारी
नहीं भूल पाये जवानी की बातें।

हमें याद सावन की आने लगी है
चलीं आज ज़ुल्फों के पानी की बातें।

गये भूल देखो सभी लोग उसको
कभी लोग करते थे नानी की बातें।

किसी से भी "तनहा" कभी तुम न करना
कहीं भूल से बदगुमानी की बातें। 

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