ईश्वर आज़ाद होना चाहते हैं ( अजब-ग़ज़ब ) डॉ लोक सेतिया
बदहवास हुए मेरे करीब चले आए तो कहना ही पड़ा कौन हैं आपको क्या परेशानी है । बोले तुम तो मेरी बात का भरोसा करोगे आपके वो दोस्त तो मेरा पता नंबर ईमेल सब सबूत मांगते हैं । मैंने कहा आप चिंता नहीं करें मेरी आदत ऐसी नहीं है मैंने तो हमेशा हर किसी पर भरोसा किया है लोग यहां अकारण ही सभी को शंका की नज़र से देखते हैं आप सबूत देते तब भी उनके मन में संशय बना रहता इस की संभावना है । पहले आप अपनी परेशानी बताएं पहचान होती रहेगी बाद में । वो बोले मैं तंग आ चुका हूं ऊंची ऊंची दीवारों के भीतर बड़ी बड़ी इमारतों में बंदी बनकर रहते बस अब उन सभी के बंधनों से मुक़्त होकर आज़ाद होना चाहता हूं । मैंने कहा क्या किसी ने आपको आपकी मर्ज़ी के बगैर कैदी बना रखा है तो ऐसा करना दंडनीय अपराध है । उन्होंने कहा मुझे जान लो पहचान लो मैं ईश्वर हूं और मुझे तमाम लोगों ने मंदिरों मस्जिदों गिरजाघरों और गुरुद्वारों में बंद कर रखा है । मैंने कहा आपने बताया कि ईश्वर हैं तो फिर ये सभी स्थल तो आपकी पूजा अर्चना ईबादत भक्ति और भजन कीर्तन को बने हैं सभी भव्य शानदार हैं और आपका नाम गुणगान किया जाता है । आपके लिए क्या क्या नहीं हैं दुनिया भर की विलासिता की ज़रूरत की खाने पीने से पहनने आनंद से मौज मस्ती करने को संगीत से लेकर असंख्य तरह के आयोजन निरंतर होते रहते हैं । खूब मालामाल हैं आपके लिए बनाये सभी धार्मिक स्थल बढ़ते बढ़ते कुछ गज़ से कई कई एकड़ की ईमारत तक फलते फूलते जाते हैं । यहां दो गज़ ज़मीन नहीं मिलती ज़फ़र जैसे बादशाह को और आपका सारा संसार है फिर भी सरकारी दफ्तरों की तरह आपके लिए कदम कदम पर निवास आवास क्या क्या नहीं है । जिस किसी के पास इतना सब हो ऐसे लोग गिनती के हैं जो दुनिया को खरीद सकने का हौसला रखते हैं ऐसा दम भरते हैं । आह भरी उन्होंने कितने बदनसीब होते हैं ये धनवान लोग भी , सुनकर हैरानी हुई ।
अब मुझे चुप चाप उनकी बात सुननी थी और वो अपनी व्यथा बताते गए । तुमने सोचा कभी किसी पंछी को पिंजरा भाता है भले वो सोने चांदी का बनाया हीरे मोतियों से जड़ा अनमोल जवाहरात से चमकीली रौशनियों से जगमगाता हो । अगर मैं खुश हो कर समझ लूं कि ये सब और जितनी जमा पूंजी उन सभी की है मेरी है तो क्या मैं आपने वाले सभी को ही नहीं बल्कि जो मेरी चौखट तक नहीं लांघ सकते उस सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करने को वितरित कर सकता हूं । क्या ये मेरा आदेश नहीं है सभी जानते हैं क्या करने दे सकते हैं । भला मेरा धन कौन लूट सकता है बगैर मेरी अनुमति जब इक पत्ता तक नहीं हिलता वही उपदेश देते हैं तो सीसीटीवी कैमरे लगवाने की क्या आवश्यकता है । इतना ही नहीं मुझे भी सलाखों में ताले लगाकर बंद रखते हैं और समझते हैं कि सभी मूर्तियों में साक्षात देवी देवता विराजमान हैं । बस बहुत हुआ अब और नहीं सहा जाता मेरे नाम पर कितना दिखावा आडंबर कब तक आखिर और मुझे बेबस कर दिया है । भला इस से अधिक अंधकार क्या होगा कि मेरे बनाए इंसान मुझी से मेरे होने का प्रमाण मांगते हैं । जिस ईश्वर से सभी मोक्ष मुक्ति मांगते हैं अब खुद उसी को अपने ही चाहने वालों से आज़ादी चाहिए ये अजब-ग़ज़ब नज़ारा है ।
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर तरीके से ईश्वर-मन की बात रखी गई है👌👍
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