दिसंबर 23, 2012

अलविदा पुरातन स्वागतम नव वर्ष ( कविता ) डॉ लोक सेतिया

अलविदा पुरातन , स्वागतम नव वर्ष ( कविता ) डॉ  लोक सेतिया

अलविदा पुरातन वर्ष
ले जाओ साथ अपने
बीते वर्ष की सभी
कड़वी यादों को
छोड़ जाना पास हमारे
मधुर स्मृतियों के अनुभव ।

करना है अंत
तुम्हारे साथ
कटुता का देश समाज से
और करने हैं समाप्त 
सभी गिले शिकवे
अपनों बेगानों से
अपने संग ले जाना
स्वार्थ की प्रवृति को
तोड़ जाना जाति धर्म
ऊँच नीच की सब दीवारें ।
 
इंसानों को बांटने वाली
सकुंचित सोच को मिटाते जाना 
ताकि फिर कभी लौट कर
वापस न आ सकें ये कुरीतियां
तुम्हारी तरह
जाते हुए वर्ष
अलविदा ।

स्वागतम नूतन वर्ष 
आना और अपने साथ लाना
समाज के उत्थान को
जन जन के कल्याण को
स्वदेश के स्वाभिमान को
आकर सिखलाना सबक हमें
प्यार का भाईचारे का
सत्य की डगर पर चलकर
सब साथ दें हर बेसहारे का
जान लें भेद हम लोग
खरे और खोटे का
नव वर्ष
मिटा देना आकर
अंतर
तुम बड़े और छोटे का ।
 

  

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