रिश्वत की है नेक कमाई ( हास्य - व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया
कर्मचारी संघ की बैठक चर्चा में इक बात सामने आई
वेतन नहीं हक मेहनत का , हम सत्ता के हैं घर जंवाई
शासक की अनुचित बातों को ख़ामोशी से मान लेते हैं
लूट खसूट से उनको मलाई , छाछ अपने लिए है बचाई ।
रिश्वत सेवा का मेवा करते हैं ,दूर जनता की कठिनाई
कुछ भी अनुचित नहीं करते हम , लेन देन है चतुराई
लोगों की सुनता कौन जनता सत्ता की साली - भौजाई
राजनेताओं ने हंसी मज़ाक में उसकी की मार कुटाई ।
रिश्वत को बदनाम कर दिया किसने कर कर के है बेईमानी
वर्ना ये भरोसे की निशानी हर किसी की होती थी आसानी
सरकार से इक मांग हमारी बंद करनी तलवार है ये दोधारी
बिना वेतन करेंगे काम हम पर रिश्वत से निभानी सबने यारी ।
काश कोई फरियाद सुने रिश्वत लेने की मिल जाये आज़ादी
आओ हमको ख़ैरात डालकर मनचाहा करवा लो सभी लोग
पुण्य मिलेगा जन्म जन्म में जितना दिया बढ़कर ही पाओगे
वरमाला हाथ में लिए खड़ी स्वयंबर में जैसे कोई शहज़ादी ।
कैसे आज़माना योजना आयोग को नई तरकीब सुझाई गई है
हर दफ़्तर में हर विभाग की आमने सामने बनाकर दो शाखाएं
बीच में निर्देश लगवाएं रिश्वत देने वाले इधर अन्य उधर जाएं
बिना रिश्वत जाने का मतलब होगा भटकते भटकते मर जाएं ।
रिश्वत देने वालों की तरफ सभी जाएंगे खुश होकर देंगे दुआएं
एक बार ज़रूर आज़माएं बिना रिश्वत नहीं उधर जा पछताएं
सफल योजना होगी सरकार की सभी का बराबर हिसाब होगा
बारिश होगी गरज बरस कर लौटेंगी आसमान से काली घटाएं ।
1 टिप्पणी:
वाह बहुत खूब सर👍👌
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