सितंबर 04, 2025

POST : 2009 दर्द की क्या दवा हम नहीं जानते ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

 दर्द की क्या दवा हम नहीं जानते ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

 

 
दर्द की क्या दवा हम नहीं जानते 
चारागर का कहा हम नहीं मानते ।  
 
शोर चारों तरफ मिल गया इक ख़ुदा 
हम मगर सब खुदाओं को पहचानते । 
 
आस्मां को समझते हैं जो सायबां 
काग़ज़ी चादरें  , वो नहीं तानते । 
 
मुश्किलें लाख हैं हौसलें कम नहीं 
हार मानी नहीं , जीत ही ठानते ।
 
ग़ुम हुई मंज़िलें , खो गए कारवां 
ख़ाक राहों की ' तनहा ' रहे छानते ।  
 
 
 
 

 

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