सितंबर 14, 2025

POST : 2017 सांप है आस्तीन का ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

   सांप है आस्तीन का ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा ' 

 
सांप है आस्तीन का 
लो मज़ा और बीन का । 
 
जब नज़र से नज़र मिली 
लुत्फ़ देखा हसीन का । 
 
आज का जश्न क्या कहें 
तेरहा का न तीन का । 
 
खेल पूरा न हो सका  
उस इक तमाशबीन का ।  
 
रात दिन शोर है मचा 
घर है अपना ये टीन का ।  
 
 

 


 
 
 

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