सितंबर 10, 2025

POST : 2013 अगर ग़म में नहीं शामिल ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

   अगर ग़म में नहीं शामिल ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा ' 

 

अगर ग़म में नहीं शामिल 
मुहब्बत के नहीं क़ाबिल । 
 
चलेंगे साथ मिलकर हम 
सफ़र कोई नहीं मुश्किल । 
 
अदावत छोड़ दी , सबसे 
हुआ कुछ भी नहीं हासिल ।  
 
यहां लाशें कई , जिनका 
मिला अब तक नहीं क़ातिल । 
 
भंवर ढूंढो ,  कहीं ' तनहा ' 
अगर मिलता नहीं साहिल ।  
 

 
 

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