सितंबर 08, 2025

POST : 2012 कभी तो किसी से मुलाक़ात होगी ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

 कभी तो किसी से मुलाक़ात होगी ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

 
कभी तो किसी से मुलाक़ात होगी  
किसी मोड़ पर कुछ नई बात होगी ।  
 
अगर ज़िक्र सावन के मौसम का आया 
तभी आंसुओं की ही बरसात होगी ।  
 
न कोई खिलाड़ी मुक़ाबिल में होगा 
न बाज़ी लगेगी न शह - मात होगी ।  
 
ज़माने हमारी भी अर्थी उठेगी 
कई  हसरतों की भी बरात होगी । 
 
हुई बंद पलकें न फिर खुल सकेंगी 
किसी रोज़ ' तनहा ' हंसी रात होगी ।