कभी तो किसी से मुलाक़ात होगी ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '
कभी तो किसी से मुलाक़ात होगी
किसी मोड़ पर कुछ नई बात होगी ।
अगर ज़िक्र सावन के मौसम का आया
तभी आंसुओं की ही बरसात होगी ।
न कोई खिलाड़ी मुक़ाबिल में होगा
न बाज़ी लगेगी न शह - मात होगी ।
ज़माने हमारी भी अर्थी उठेगी
कई हसरतों की भी बरात होगी ।
हुई बंद पलकें न फिर खुल सकेंगी
किसी रोज़ ' तनहा ' हंसी रात होगी ।
1 टिप्पणी:
बहुत खूब👍
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