दर्द का नाता ( कविता ) लोक सेतिया
सुन कर कहानी एक अजनबी कीअथवा पढ़कर किसी लेखक की
कोई कहानी
एक काल्पनिक पात्र के दुःख में
छलक आते हैं
हमारी भी पलकों पर आंसू।
क्योंकि याद आ जाती है सुनकर हमें
अपने जीवन के
उन दुखों परेशानियों की
जो हम नहीं कह पाये कभी किसी से
न ही किसी ने समझा
जिसको बिन बताये ही।
छिपा कर रखते हैं हम
अपने जिन ज़ख्मों को
उभर आती है इक टीस सी उनकी
देख कर दूसरों के ज़ख्मों को।
सुन कर किसी की दास्तां को
दर्द की तड़प बना देती है
हर किसी को हमारा अपना
सबसे करीबी होता है नाता
इंसान से इंसान के दर्द का।
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