सभी ख़ौफ़ दिल से मिटा कर तो देखो ( ग़ज़ल )
डॉ लोक सेतिया "तनहा"
सभी ख़ौफ़ दिल से मिटा कर तो देखो
कभी हौंसला आज़मा कर तो देखो ।
ख़ुदा के भरोसे रहे हो हमेशा
भरोसा खुदी पर जगा कर तो देखो ।
भंवर और तूफ़ान से अब डरो मत
किनारे पे कश्ती लगा कर तो देखो ।
सिकंदर कलंदर सभी मिट गए हैं
है जीना अगर सर उठाकर तो देखो ।
घुटन खत्म ऐसे नहीं कर सकोगे
रुके जितने आंसू बहा कर तो देखो ।
है वादा तुम्हारे लिए जां भी देंगे
मुझे दोस्तो आज़मा कर तो देखो ।
घुटन खत्म ऐसे नहीं कर सकोगे
रुके जितने आंसू बहा कर तो देखो ।
है वादा तुम्हारे लिए जां भी देंगे
मुझे दोस्तो आज़मा कर तो देखो ।
गिले और शिकवे सभी छोड़ "तनहा"
खताएं जफ़ाएं भुला कर तो देखो ।
1 टिप्पणी:
Bahut khoob 👌👍
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