अगस्त 15, 2018

15 अगस्त पर संबोधन का सफर ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया


   15 अगस्त पर संबोधन का सफर ( आलेख ) डॉ लोक सेतिया 

      आज उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है । आज घर दुकान बाज़ार तो क्या सार्वजनिक स्थानों पर भी टीवी पर समाचार दिखाई दे रहे होते हैं । मुसाफिर इंतज़ार करते हैं सामने टीवी चल रहा है , होटल में क्या बड़े बड़े अस्पतालों में रोगी गंभीर रोग का इलाज करवाने आये हुए हैं दर्द में भी टीवी सामने है । हर कोई स्मार्ट फोन पर भी टीवी देखता है । मगर कोई युग था जब हर किसी के पास रेडिओ भी नहीं होता था और कोई ख़ास अवसर होने पर लोग जमा होते थे किसी जगह रेडिओ पर आवाज़ सुनने को । 15 अगस्त को ऐसा ही होता था लालकिले से भाषण देते देश के नेता की हर बात ध्यान से सुनी जाती थी । पहला अंतर तब देश का प्रधानमंत्री देश का लगता भी था होता भी था मगर आज लगता है किसी दल का नेता है जो अपने दल के शासन की बात करता है देश की नहीं । मैं किसी दल का नहीं हूं मगर राजनीति को समझता भी नहीं था तब भी बहुत अच्छा लगता था जवाहर लाल नेहरू जी को सुनकर । कभी नहीं सुनाई दिया मैंने ये किया वो किया है और क्या घोषणा कर रहे हैं उस से कितने लोगों को लाभ होगा । ये साफ लगता है जनता को बहलाने को वोट बैंक की बात की जा रही है , कम से कम आज तो ऐसा मत करो । नेहरू जी की पहली स्पीच आधी रात को दी थी मगर बात मेरी कहीं नहीं सुनाई दी थी , आज की स्पीच सुनकर लगता है मैं मैं मैं । भावना और उद्देश्य दोनों अलग हैं । आज नज़र सत्ता पर है देश की दिशा पर नहीं । विकास न पहले किसी नेता की खुद की जेब की कमाई से हुआ न आज होता है न कभी होगा । जब सब जनता के धन से किया जाता है तो किसी का भी ये दिखलाना कि उसी की महनत से है अनुचित है और छल है । 
 
               कभी बताया जाता था क्या क्या किया जाना चाहिए था मगर नहीं किया जा सका इसका खेद भी जताते थे । आज है कोई जो अपनी पीठ थपथपाना छोड़ सच बोलने का साहस करता कि मैंने कहा तो था बहुत कुछ मगर कर नहीं सका मुझे खेद है । कम से कम इस सरकार से तो कुछ सवाल पूछने ज़रूरी हैं । ये याद करना होगा कि ये वही नेता है जिसने सत्ता पाने से पहले ही इसकी तैयारी की थी और किसी सपने की तरह से लालकिले का इक बहरूप खड़ा कर उस से भाषण भी दिया था । ठीक उसी तरह उनसे भी लालकिले से ही सवालों की झड़ी लगाई जा सकती है । सवाल देश की जनता के हैं ।

पहला सवाल :-

  अच्छे दिन क्या हुए , आये या आने वाले हैं या कब आएंगे या कभी नहीं लाओगे । होते क्या हैं अच्छे दिन इतना तो समझाओगे । सपनों से आखिर कब तक जनता को भरमाओगे कभी सोचोगे कभी पछताओगे ।

दूसरा सवाल :-

काला धन विदेश में है या देश में आकर सफ़ेद हो गया है । अब तो नोटबंदी का सच बताओ और सभी दलों की असलियत को नहीं छुपाओ । ये कैसा कानून है विदेशी चंदे को खुद छुपाने को कानून लाओ । धन बल की गंदी राजनीति को पर्दों में से बाहर सामने ला पाओगे ।

तीसरा सवाल :-

स्वच्छ भारत दिखाओ , मेक इन इंडिया की बात सब बाहर से मंगवाओ  , स्किल इंडिया के नाम पर अधिकतर आंकड़े हुआ कुछ नहीं , गंगा और मैली , थोड़ी तो शर्म चेहरे पर लाओ । 

चौथा सवाल :-

महंगाई खुद आपने दाम बढ़ाये पेट्रोल डीज़ल के अनुचित लूट को । रोज़गार की बात पर इतना धोखा । वंशवाद को खत्म करने की जगह इक संगठन की निष्ठा होना बड़े बड़े पदों की योग्यता । हद है । 

पांचवा सवाल ( आखिरी नहीं है ) :-

बेटियां सुरक्षित नहीं , सत्ताधारी नेता तक महिलाओं के साथ अनुचित आचरण करते बेख़ौफ़ हैं कोई नहीं कुछ कहने वाला । बलात्कारी बाबा को नतमस्तक सरकार मगर नहीं हुई शर्मसार । कोई पकोड़े तलने की बात करता है तो कोई हरियाणा का सीएम साफ कहता है नौकरी निजि कंपनी की पकड़ लो हमारी तरफ मत देखो । 

  आज ये सब कहकर जनता से वोट मांगना जनता जवाब दे देगी । आप तो केवल सवाल करते हैं जवाब देने की आदत ही नहीं है । 


 

2 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सभी को ७२ वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं |


ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, ७२ वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Sanjaytanha ने कहा…

सच कहा आजकल प्रधानमंत्री देश का कम दल का ज्यादा लगता है👍👌