अगस्त 06, 2018

जिन्हें लेना ही आता है ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

        जिन्हें लेना ही आता है  ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

           माफ़ करें आज का विषय महिला पुरुष की समानता की बात पर नहीं है इसलिए उस नज़रिये से मत पढ़िये । पत्नी को भी सरकार भी कहते हैं तो बिना कारण तो नहीं ऐसा हुआ कि घर की सरकार वही है । उन्हीं का शासन चलता भी है , आपकी पत्नी की भी राय यही होगी कि भाभी जी जो इशारा करती हैं भाई साहब वही कहते हैं करते भी हैं और सोचते समझते भी हैं । मगर इस सब के बाद भी भाई साहब समझदार तो हैं बस बीवी को ही नहीं समझते हैं । लेकिन आपके लिए पत्नी की राय ये नहीं है , आप नासमझ भी हैं और बुद्धू भी आपको कितना समझाती है पत्नी समझते ही नहीं । बाबू समझो इशारे । थोड़ा दूसरे किरदार की बात भी हो जाये , सरकार गवर्नमेंट की , जनता को लेकर उसकी राय भी पत्नी जैसी ही है । मूर्ख लोग समझते ही नहीं कितना विकास किया है कितनी भाग दौड़ दिन रात करते हैं , गरीबी भूख कब की मिट चुकी है और हम खूब मज़े में हैं । आंकड़े जारी करते हैं इश्तिहार बंटवाते हैं विज्ञापनों पर करोड़ों रूपये खर्च करते है हर दिन फिर भी लोग हमारे भाषणों को झूठा बताते हैं । जिनको पता होता है वो एक के चार नहीं आजकल पचास हज़ार गुणा बढ़ जाते हैं , नहीं समझते जो हाथ मलते जाते हैं । आओ अब विषय पर आते हैं , नासमझ तो हैं हम खुद भी मगर आपको समझाते हैं । 
 
             सरकार की तिजोरी खाली होती है जब भी सरकार सत्ता में आती है । पहली चिंता हर नेता को यही सताती है । मगर सत्ता की देवी क्या क्या करामात दिखाती है , सरकार घाटे में भी खुद अपने खज़ाने को लुटवाती है । सरकार है क्या दरवाज़े पर बंधा खड़ा शान दिखलाने वाला सफेद हाथी है । सफ़ेद हाथी की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू , चुटकी भर सिंदूर की बात कब किसको समझ आती है । सरकार कैसे कैसे जनता से कर वसूल करती जाती है , किसी भूखे के पेट पर लात मरते बिल्कुल नहीं घबराती है । आप ही से लेकर सौ रूपये आपको दस रूपये देकर एहसान जतलाती है । खुद कितना हज़्म करती है तभी तो सरकार सरकार कहलाती है । सरकार आपका नहीं हर साल अपना बजट बनाती है , आपके लिए आफत लाती है फिर थोड़ी आफत कम कर देती है जो राहत बतलाती है । आपकी आमदनी पर आयकर विभाग की नज़र जाती है , जब आमदमी नहीं घाटा हो तब उसकी नज़र नज़र नहीं आती है । आय नहीं है तो भी क्यों नहीं है कई सवाल उठाती है । एक नहीं दो नहीं पचास रास्ते अपनाती है , चोर आपको साबित करती है खुद साहूकार  बन जाती है । मुसीबत आने पर कोई भी नहीं काम आती है । 
 
                  पत्नी भी यही सोचती है समझती है और समझाती है । आपकी कमाई उसी की ही बन जाती है । आपकी आमदनी पर अपना अधिकार जतलाती है मगर उसके पर्स की राशि उसी की बन जाती है । बदकिस्मती जब आपकी आती है आपकी पत्नी साहुकार भी बन जाती है , उधार देकर सरकार की तरह इतराती है । कितना दिया हिसाब लिखती जाती है , लिया भी था नहीं याद आती है । आपने जो दिया वो घर खर्च था वो जो दे रही है जमाखर्च है पाई पाई गिनवाती है । पत्नी से लिया क़र्ज़ कोई चुकता नहीं कर पाया है , सब उनकी माया है । पुरुष कितने भी समझदार हों पत्नी से अपना हिसाब कभी नहीं छुपा सकते हैं , राज़ की बात भी खुद ही बता कर फंसते हैं । आपकी कमाई कब सफेद से काली बन जाती है , महिलाओं की कमाई पर आयकर विभाग की भी नहीं नज़र जाती है । सरकार किसी की भी हो महिला जगत से घबराती है , उनकी बचत बचत ही समझी जाती है । नोटबंदी में उन पर कोई मुसीबत नहीं आती है , बहनों से सरकार डरती है , जानती है बिंदिया चमकती है चूड़ी खनकती है तो कितने सितम बरपाती है । संसद में मंत्री बनी बैठी खामोश हो जाती है जो महंगाई पर पहली सरकार को चूड़ियां भिजवाती है । आप उसको क्या भेज लोगे यही गुनगुनाती है , नाचती झूमती जाती है । अब समझो कोई भी सरकार महिला आरक्षण बिल क्यों नहीं पारित करवाती है , जितनी भी थोड़ी हों महिलाएं संसद में महिलाओं की गूंज साफ सुनी जाती है । जिस दिन एक तिहाई संख्या महिलाओं की हो गई सब पुरुष सांसदों की बोलती बंद कराती है । किसे पता किस किस की पत्नी कैसे पर्दे के पीछे से सत्ता चलाती है । अंत नहीं है इस कथा का मगर बात कही नहीं समझी जाती है । सरकार से डर लगता है पत्नी भी डराती है ये दोनों नहीं किसी पर रहम खाती हैं ।  देश की सरकार घर की पत्नी दोनों ही प्यार जताती जिसने अपनाया उसी को सबक सिखाती है , मगर कोई भी मुसीबत खुद नहीं आती धूम धाम से लाई जाती है जोश में बनाई जाती है । पत्नी से सरकार से हारना मज़बूरी है । शक्ति ताकत से अहंकार उपजता है । 

aaj ka jeevan mantra If you get any power, then use it in good works,  misuse of power becomes the cause of destruction. | आज का जीवन मंत्र: अगर  कोई शक्ति मिले

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