अगस्त 18, 2018

जीवन के दोराहे पे खड़े सोचते हैं हम ( टीवी शो की बात ) भाग 13 डॉ लोक सेतिया

जीवन के दोराहे पे खड़े सोचते हैं हम ( टीवी शो की बात ) भाग 13   

                                    डॉ लोक सेतिया 

        कल रात 17 अगस्त की कहानी से दो बातें समझ आईं मुझे। पहली ये कि ईमानदार इंसान हर हालात में ईमानदारी पर कायम रहता है और यही सच्ची ईमानदारी है , जो लोग मुश्किलों की आड़ में अपनी बेईमानी को ढकते हैं खुद को ईमानदार नहीं कह सकते। दूसरी बात कोई बुरे इंसान में अच्छाई को पहचानता है तो कोई अच्छे इंसान में भी बुराई तलाश करता है। कैसे इस को समझते हैं कल की कहानी से। 
 
    इक विदेशी महिला को सोशल मीडिया पर एक भारतीय से प्यार हो जाता है। फेसबुक पर चैट पर बातें करते हैं कोई विडिओ काल भी नहीं क्योंकि चाहते हैं जब मिलें तभी आमने सामने एक दूसरे को देखें। वो अपनी दोस्त को बताती है कि मैं भारत जाकर अपने प्रेमी को अचंभित करना चाहती हूं। दोस्त समझाती है भारत में बिना पहचान अकेली लड़की का जाना सुरक्षित नहीं है। फेसबुक पर बहुत लोग झूठी पहचान से सम्पर्क बनाते हैं और कौन क्या चाहता है समझना कठिन है। भारत में कानून व्यवस्था की दशा बेहद खराब है और गरीबी भ्रष्टाचार है तुम वहां नहीं जाओ और मिलना है तो अपने प्रेमी को यहां बुला कर मिलकर पहचान लो। स्टुडिओ में अधिकतर दर्शक उस दोस्त की बात से सहमत हैं। इतनी कहानी देख कर।

     मगर वो विदेशी महिला नहीं मानती और भारत चली आती है। हवाई अड्डे के बाहर ही टेक्सी वालों की बातों से बेचैन हो जाती है और एक टेक्सी चालक उसे अपनी टेक्सी में बिठा लेता है बाकी को ये कहकर कि ये मेरी पुरानी सवारी है। मगर सोच रहा होता है इसको पास की गली पहुंचाने के अधिक पैसे लेकर फायदा उठाऊंगा। उसको बताता है पांच हज़ार रूपये लूंगा मगर उसे अधिक लगते हैं तो कहता है मैडम जी डॉलर नहीं रूपये की बात है। उसका फोन चार्ज करने को ले लेता है और फिर इक गली में उतार कर कहता है ये अमुक नंबर है आस पास ही आपका वाला नंबर है आप ढूंढ लेना और सामान उतार कर जल्दी से चला जाता है। महिला को ध्यान आता है मेरा फोन टेक्सी में ही रह गया और वो आवाज़ देती पीछे भागती है मगर नहीं रोक पाती। इसी बीच उसका सामान कोई चोर उठाकर भाग जाता है। अब उसके पास कुछ भी बचा नहीं है खाली हाथ है और वीज़ा पासपोर्ट सब चोरी हो गए हैं , उस पर पता चलता है पता भी गलत है नाम मिलता जुलता होने से टेक्सी वाला गलत जगह छोड़ गया है।

          ऐसे में पुलिस थाने जाती है तो जो वास्तव में हमारे देश में होता है वही उस विदेशी महिला के साथ भी घटता है। कोई बात सुनने को ही तैयार नहीं है क्योंकि कोई वीआईपी आने वाला है। इक सिपाही को कहते हैं इन मैडम जी की रिपोर्ट दर्ज करवा दो। और लिखने के बाद कहते हैं मैडम सफेद रंग की हज़ारों टेक्सी हैं और आधे चाक यादव नाम के होंगे फिर भी पता चला तो आपको सुचित कर देंगे। मगर बाहर निकलते हुए एक पुलिस वाला बताता है हम सब जानते हैं किस एरिया में कौन कौन चोर है। आपका सामान मिल जाएगा मगर पचास हज़ार रूपये देने पड़ेंगे। जब वो बताती है कि उसके पास कुछ है ही नहीं तो उसका उपाय भी बताया जाता है कि आप हामी भर दो जब सामान मिल जाये पैसे तब दे देना। मगर वो नहीं मानती और चली जाती है। शायद आपको भी पढ़कर लगा होगा जो स्टूडियो में बैठे दर्शक महसूस करते हैं कि हम कैसे देश में रहते हैं जहां महमान को भगवान समझते हैं मगर वास्तव में विदेश से आई महिला से कितना गलत व्यवहार किया जा रहा है। शर्मसार होते हैं दर्शक।

        परेशान रोटी हुई इक महिला बीच बाज़ार फुटपाथ पर बैठी है कि तभी पास के एटीएम से निकलते किसी का पर्स गिर गया देखती है और जब तक उठाती है वो आदमी अपनी कार में बैठ चल देता है। ये वास्तविक इम्तिहान की घड़ी है , उसका सब चोरी हो गया है और मज़बूरी की सीमा नहीं है तब भी वो जिसका पर्स है उसकी कार के पीछे दौड़ती है और काफी दूर भागने के बाद रोककर कहती है ये आपका पर्स वहां गिर गया था। कोई भी सोचेगा वो आदमी धन्यवाद तो करेगा ही , मगर नहीं वो कहता है तुमने इस में से पैसे निकाले तो नहीं हैं। शायद ये हमारी मानसिकता है हर किसी को शक की निगाह से देखना। इक इत्तेफ़ाक़ होता है ये सब यादव नाम का टेक्सी चालक सामने से देखकर पास आता है और उस कार वाले को कहता है आपको ऐसी बात बोलते शर्म नहीं आई कि जो भागकर खुद आपको आपका गिरा पर्स देने आई है आप उसी को ऐसे बोलकर क्या कर रहे हैं। और वो उस महिला को उसका फोन भी लौटाता है और जो पैसे लिए वो भी दे देता है और किसी होटल में ठहरने को सलाह देता है। अगली सुबह फिर आता है और उस विदेशी महिला को उनके देश के दूतावास पर लाता है जहां से उसको सहायता मिलती है वापस जाने को इक हवाई जहाज़ की टिकट मिल जाती है। टेक्सी चालक उसे सलाह देता है आप जिस बॉबी नाम की फेसबुक की बात करती है मैंने देखा है उसने इक मशहूर गायक की तस्वीर लगाई हुई है। और ऐसे बहुत लोग करते हैं , तभी उस महिला की चैट पर मैसेज आता है और वो टेक्सी चालक को उसके पते पर ले जाने को कहती है। टेक्सी चालक समझाता है कि फिर से आपको दूतावास मुफ्त टिकट नहीं देगा , मगर वो नहीं मानती और कहती है जो भी हो अपने प्यार की वास्तविकता देखे बिना वापस नहीं जाउंगी। जब उस पते पर पहुंचते हैं तब उसका प्रेमी बेहद खुश होता है गले लगाता है , और वो वास्तव में मशहूर गायक ही है मगर फेसबुक अपने घर के नाम से बनाई होती है। प्यार सच्चा है और दोनों प्रेमी मिल जाते हैं।

                   तब वो विदेशी महिला टेक्सी चालक को कहती है कि तुम्हारे कारण मुझे अपना प्यार मिला है। जब सब चोरी हो गया था तो मैं निराश होकर लौट जाना चाहती थी मगर तुमने भले मुझे पहले मूर्ख बनाया और गलत किया मेरे साथ लेकिन जब मैं मुसीबत में थी तब तुम्हारे भीतर का अच्छा इंसान मेरी सहायता को आगे आया तो मुझे लगा सब में कोई न कोई अच्छा इंसान भी रहता है और सभी ख़राब नहीं होते हैं। अंत देख कर दर्शक समझते हैं कि कहानी का असली नायक वो टेक्सी चालक ही था। क्या हम कोई सबक लेंगे और हर किसी के साथ उचित आचरण करने की आदत डालेंगे। सरकार को और पुलिस और प्रशासन को भी समझना होगा कि हम किस सीमा तक नीचे गिर चुके हैं और अपनी प्रतिष्ठा को गवां चुके हैं। 
 

 

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