जून 04, 2025

POST : 1980 तस्वीर लगाई है संग-संग ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

             तस्वीर लगाई है संग-संग ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया  

यहां आज उन तस्वीरों का ज़िक्र नहीं है जो दिन महीने मौसम देख कर बदलते रहते हैं क्योंकि उनका कोई हिसाब नहीं और कौन है जो दिखावे को ऐसा नहीं करता , दिखावे की ज़रूरत ही तभी पड़ती है जब वास्तव में आप में कुछ होता नहीं है । इस में खेल त्यौहार धर्म से देशभक्ति क्या संविधान लोकतंत्र तक की बात होती है जिन्होंने शपथ उठाई होती है सभी से न्याय करने पक्षपात नहीं करने की उनको निभाना कब आता है । ये मगर कुछ अलग विषय है हर कोई किसी भी जाने माने व्यक्ति साथ मिलता है तो इक तस्वीर बनवाता है । राजनेता वर्ग की मज़बूरी है उनको अपने आका को माई बाप बताना होता है ख़ास हैं उनसे करीब हैं ये भ्र्म फैलाना होता है । लेकिन इधर देखते हैं अपनी फेसबुक पर कितने ही लोगों ने शासक वर्ग किसी राजनेता से बड़े अधिकारी संग अपनी तस्वीर लगाई है क्या आपको मालूम है कौन अच्छा है किस में क्या बुराई है । कल किसी हिस्ट्रीशीटर की फोटो बड़े राजनेता संग मंच पर अभिवादन करते नज़र आने पर हंगामा होने लगा सोशल मीडिया पर तभी देखा जो सच लिखते हैं खुद उन्होंने झूठे के सामने हाथ जोड़ते हुए शान से तस्वीर बनवा कर कवर फोटो सजाई है । किसी बड़े रचनाकार साथ मंच सांझा किया उसकी याद संजोना ठीक है मगर किसी बड़बोले नेता जिस की बात का कोई भरोसा नहीं क्या कर बैठे कब पता नहीं उनसे दूर रहते तो लगता आपको समझ है झूठ को सच नहीं समझते हैं लेकिन आप तो शोहरत पाने को तरसते हैं क्या जीते हैं कि ज़िंदा होकर भी मरते हैं । 
 
लिखते कुछ हैं अपनी बात से मुकरते हैं किस बात का डर है इतना क्यों डरते हैं । चलो आज मिलकर खुद आईने में अपनी सूरत देखते हैं समाज को दिखलाते हैं आईना मगर सामने आईना हो तो घबरा कर अपनी शक़्ल अजीब लगती है जितना भी बनते सजते संवरते हैं । कैमरा आपको नचाता है पोज़ बदलने से क्या किरदार बदल जाता है हमने देखा है जनाब यही काम करते हैं दिन में कितने लिबास बदलते हैं लोग इनकी इस अदा को क्या समझते हैं उनकी शोहरत से लोग जलते हैं । कुछ दिन पहले देश की राजधानी में ख़ास आयोजन हुआ साहित्य के बदलाव और बदलाव के साहित्य विषय को लेकर । यूट्यूब पर देखा वहां कुछ भी नहीं बदला है वही बड़े छोटे का बढ़ता अंतर वही सर झुकाना वही औपचरिकता निभाते हुए जितना बताना उस से अधिक छुपाना । कोई ग़ज़ल कहता था मुझको ये मंज़ूर नहीं आदमी आदमी में इतना फ़र्क नहीं होना चाहिए आज आचरण में दूसरा ही तौर दिखाई दिया , जब आप ख़ास बन जाते हैं तब साधारण जैसे नहीं रह पाते हैं । चर्चा जिस विषय पर करनी थी वही पीछे रह गया शायद और शान ओ शौकत क्या सजावट क्या बनावट से चलते चलते बड़ा आदर सत्कार क्या लज़ीज़ खाना था कितना खूबसूरत नज़ारा था बस मलाल था कुछ घड़ी के मेहमान है लौट कर अपने घर जाना था , अपना उस महानगर में कहां कोई ठिकाना था । अब उन तस्वीरों से दिल बहलाया करेंगे यारों को झूठे सच्चे किस्से सुनाया करेंगे ।   
 
सरकार ने चुनकर कुछ सांसदों को विदेशी दौरों पर भेजा था , दुनिया को अपना पक्ष समझाना था हमको आतंकवाद का अर्थ बताना था । उनके फोटो वीडियो सोशल मीडिया पर छाये हैं उन्होंने क्या गीत गाकर सुनाये हैं महफ़िल में झूमे हैं खूब नाचे हैं सैर सपाटे किये हैं घूम कर दुनिया लौटे हैं ख़ाली है दामन बस कुछ उपहार कीमती मिले हैं असली मकसद का क्या हुआ कोई नहीं जानता है कितने घने गहरे उनके साये हैं । हमने कैसा चलन चलाया है तस्वीरों में हर कोई छाया है जाने कैसी प्रभु की माया है सब को भरमाया है जिसे देखते हैं अपना हुआ पराया है । आधुनिक युग का यही इतिहास है देखने में कोई कैसा भी है तस्वीरों में क्या बात है रात दिन है दिन अंधियारी रात है ।  हमने कही है ग़ज़ल में जो अपनी बात है दो ग़ज़ल हैं उसी में अपनी शह है सबकी मात है । 
 
 1 

राहे जन्नत से हम तो गुज़रते नहीं ( ग़ज़ल ) 

डॉ लोक सेतिया "तनहा" 

 

राहे जन्नत से हम तो गुज़रते नहीं
झूठे ख्वाबों पे विश्वास करते नहीं ।

बात करता है किस लोक की ये जहां
लोक -परलोक से हम तो डरते नहीं ।

हमने देखी न जन्नत न दोज़ख कभी
दम कभी झूठी बातों का भरते नहीं ।

आईने में तो होता है सच सामने
सामना इसका सब लोग करते नहीं ।

खेते रहते हैं कश्ती को वो उम्र भर
नाम के नाखुदा पार उतरते नहीं । 
 
 2 

हम तो जियेंगे शान से ( ग़ज़ल ) 

डॉ लोक सेतिया "तनहा"

हम तो जियेंगे शान से
गर्दन झुकाये से नहीं ।

कैसे कहें सच झूठ को
हम ये गज़ब करते नहीं ।

दावे तेरे थोथे हैं सब
लोग अब यकीं करते नहीं ।

राहों में तेरी बेवफा
अब हम कदम धरते नहीं ।

हम तो चलाते हैं कलम
शमशीर से डरते नहीं ।

कहते हैं जो इक बार हम
उस बात से फिरते नहीं ।

माना मुनासिब है मगर
फरियाद हम करते नहीं ।

 तारों भरा आसमान, फिर भी रात काली क्यों होती है? - BBC News हिंदी

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

Sch kaha dikhawe ka daur h... Rachnakaar ke sath photo or kisi rajneta k sath photo
Dono m zameen aasman ka antr h