जनवरी 04, 2025

POST : 1935 तेरी मेहरबानियां ग़ज़ब हैं ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया

          तेरी मेहरबानियां ग़ज़ब हैं ( व्यंग्य ) डॉ लोक सेतिया  

साहब की बात सुनकर लगता है जैसे उनका बड़ा कारोबार है उद्योग है करोड़ों का टर्नओवर है जिस से उन्हने अपना कोई घर नहीं बनवाया बल्कि सब देश की जनता की भलाई की खातिर दान दे दिया । उनकी मेहरबानी से अब सभी अपने पक्के घर में रहते हैं , उन्होंने लोगों से कहा ये बात आप भी सभी से कह सकते हैं मेरे नाम पर अर्थात सभी को अधिकार दे दिया शाहंशाह की तरह फरमान जारी करने को । देश में कितने लोग 2024 में बेघर हैं , नवभारत टाइम्स के अनुसार बेघर लोगों की यह संख्या 2023 की तुलना में 18 फीसद ज्यादा है । इसका मतलब है कि देश के हर 10,000 लोगों में से लगभग 23 लोग बेघर हैं । नेशनल लो इनकम हाउसिंग कोलिएशन के अनुसार , जनवरी 2024 में औसत किराया जनवरी 2021 की तुलना में 20 फीसद ज्यादा था । आंकड़ों को देखना चाहें तो सौ करोड़ में 23 लाख 140 करोड़ में 32 लाख बीस हज़ार लोग बेघर हैं । हम सभी को क्षमा मांगनी चाहिए कि हम अपने प्रधानमंत्री को रहने को कायदे का निवास नहीं दे पाए और उनको किसी झौंपड़ी में रहना पड़ रहा है । सत्ता का कितना बड़ा मज़ाक है इतने आलीशान घर में रहते हैं करोड़ों रूपये रोज़ आप पर रहन सहन पर खर्च होते हैं सैंकड़ों करोड़ अपनी उन यात्राओं पर बर्बाद किये जाते हैं जिन से जनता को कुछ नहीं मिलता सिर्फ आपकी हसरत पूरी होती है दुनिया में अपनी पहचान बनाने की और करोड़ों रूपये उपहार दान अन्य आडंबर करने पर आपके लिए विमान खरीदने पर खर्च होने पर भी आपको लगता है जनता पर उपकार करते हैं । 

क्या देश की संसद की ईमारत थोड़ी थी जो इक नई ईमारत बनवाई गई जब देश में सरकार 80 करोड़ लोगों को भूख से बचने ज़िंदा रहने को राशन देने को मेहरबानी समझती है । कभी सोचते हैं आज़ादी के 77 साल बाद ऐसी हालत है तो कैसी व्यवस्था है । दस सालों में आपके दल का राजधानी में आलीशान भवन ही नहीं बना है सैंकड़ों शहरों में आपके दल के दफ्तर की भवन बनाये गए हैं कभी उन सभी का विवरण भी भाषण में जनता को बताते किसी श्वेत पत्र की तरह । इलेक्टोरल बॉन्ड्स से तमाम अन्य कारनामों की सच्चाई कभी तो सभी को मालूम होगी । जिनकी आलोचना आप ने शालीनता की सीमा का उलंघन कर लाखों बार की होगी उन्होंने प्रधानमंत्री बनते ही अपनी करोड़ों की निजी पारिवारिक संपत्ति देश को दे दी थी क्या कोई अन्य ऐसा करता दिखाई देता है ।



1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

....👍👌
बहुत लोग बेघर हैं अभी...कड़कड़ाती ठंड में बाहर सोने को लोग मजबूर हैं। सत्ता के आंकड़े किताबी होते हैं। चुनाव है इसलिए पक्के घर..सुविधाएं...विकास..की कागज़ी बाते होंगी ही