करोड़पति बनाने का चोखा धंधा ( टीवी शो ) डॉ लोक सेतिया
कौन बनेगा करोड़पति टीवी शो को लेकर कई बार पहले भी पोस्ट लिखी हैं , कब से मेरे ज़हन में इक सवाल रहता था कि काश कभी उसी खेल में कौन बनेगा करोड़पति की वास्तविकता को उजागर करने को भी ऐसे सवालात जवाब संभव हो सकता है । बस इतना सार्वजनिक किया जाये कि पिछले 24 सालों में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को कितना पैसा मिला और कितना टीवी चैनल ने कमाई की और कितना संचालन करने वाले जनाब अमिताभ बच्चन जी को मिला है । अभी इसी समय केबीसी का 25 साल की शुरुआत का एपीसोड दिखाया जा रहा है और उस में घोषित किया है अमिताभ बच्चन जी ने कि पिछले 24 साल में केवल 32 लोग करोड़पति बने हैं और 250 करोड़ धनराशि प्रतिभागी लोगों ने जीती है । मुझे लगता है सामन्य शिक्षित व्यक्ति गणित से इतना आंकलन आसानी से कर सकता है कि हर साल औसत दो लोग करोड़पति बन सके हैं एवं सभी प्रतिभागियों को हर साल में अधिकतम 16 करोड़ इन सोलह सीज़न में मिले हैं । कोई कभी नहीं बताएगा कि वास्तव में जितना पैसा खेल खेलने वालों को मिला उस से सौ गुणा नहीं लाख गुणा नहीं शायद करोड़ गुणा खेल खिलवाने वालों को मिला होगा कितनी ही तरह से विज्ञापन से लेकर मालूम नहीं किस किस तरह से । ये इक फरेब है या लोगों को इक झूठे काल्पनिक लोक में खुशियां मिलने की ऐसी आशा दिखलाना है जिस में हर कोई पलक झपकते ही नर्क से निकल स्वर्ग की चौखट तक पहुंच जाता है । धर्म वाले हमेशा मरने के बाद स्वर्ग या जन्नत मिलने की बातें करते हैं लेकिन मीडिया टीवी सिनेमा का मकसद कुछ और होता है , मुझे हैरानी होती है जब इसी कार्यक्रम में आसानी से पैसा कमाने की बातें करने वालों से सावधान रहने की बात वही करते हैं जो खुद ऐसा ही सपना बेच कर खुद मालामाल होते हैं ।
लेकिन आपत्ति इस पर है कि भाग लेने वाले प्रतिभागी लोगों से उस शो में उपस्थित तमाम लोगों तथा देखने वाले दर्शकों को ऐसा दिखलाया जाता है जैसे केबीसी कोई धन कमाने का कारोबार नहीं बल्कि समाज की सेवा भलाई और लोगों की परेशानियां दूर करने के मकसद से कोई बिना लाभ हानि का कार्य है । मुझे लगता है इसे ज्ञानदार धनदार शानदार कहना जनता को गुमराह करना है । कभी कभी तो ऐसा भी कहते हैं कि आपने यहां पहुंच कर खुद को काबिल साबित कर दिया है अर्थात करोड़ों लोग जो केबीसी में खेलने नहीं आये हैं उनकी काबलियत साबित नहीं हुई है । टीवी पर देख कर संचालन करने वाले की मीठी मीठी बातें सुन कर लगता है जैसे टीवी चैनेल से शो से जुड़े सभी लोग इंसान के दुःख दर्द को समझते हैं और समय आने पर सभी सहयता करने को तैयार हैं जबकि वास्तविक जीवन में ऐसे लोग नहीं मिलते बल्कि इसी शो में दिखाया जाता है कि समाज कितना बेरहम है । कलाकार बुद्धिजीवी वर्ग का ध्येय आदमी को सही राह बताना होता है जो कभी भी धन दौलत के लालच को बढ़ावा देने से नहीं हो सकता है बल्कि पैसे से अधिक महत्व इंसानियत को महत्वपूर्ण समझने से हो सकता है । केवल कहने से कि मेरे लिए ये खेल आर्थिक आमदनी का नहीं बल्कि जनता से मिलने वाले प्यार के लिए है मगर वास्तव में शायद इक शो क्या कुछ भी वो बिना पैसा लिए करना नहीं चाहेंगे ।
पैसे ने आदमी को क्या से क्या बना डाला है सच कहें तो हर कोई राजनीति धर्म समाजसेवा सभी का पहला मकसद धन दौलत बन गया है । फिल्मों की बात की जाये तो इधर पिछले तीस साल से फ़िल्मी कहानियां भी दर्शकों को वास्तविकता से दूर कर झूठी मनघड़ंत बातों से सिर्फ मनोरंजन की आड़ में मानसिकता को विकृत ही किया है । कारोबार व्यौपार धंधा करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन किसी भी ऐसे कार्य को महान या समाज सुधरने अथवा परोपकार करने का बताना अनुचित है । शायद इस शो की सबसे आपत्तिजनक बात ये है कि यहां सभी इक अभिनेता जो सिर्फ पैसा और नाम शोहरत पाकर इक शिखर पर खड़ा है उसे आदमी नहीं कोई मसीहा या भगवान समझते हैं ।
एक करोड़ का नहीं सात करोड़ का नहीं एक सौ चालीस करोड़ का सवाल है , 24 साल 32 करोड़पति 250 करोड़ पुरुस्कार अन्य सभी प्रतिभागी खिलाड़ियों को मिले है , कितने हज़ार साल लगेंगे सभी उन लोगों की आकांक्षाओं अपेक्षाओं को पूर्ण होने में , जवाब आराम से बताना ज़िंदगी की अंतिम सांस तक समय है ।
कुलदीप सलिल जी की ग़ज़ल से अंत करते हैं ।
1 टिप्पणी:
Sahi kahaa sir....Khilaane me jyada pesa h jese satta khilaane wale satta khelne walon se jyada kamate h...Juari to bs harte hn jbki casino wale koi hare jite ye hmesha jeet m rahte hn
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