अप्रैल 22, 2024

POST : 1805 मिलावट पर शोध ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया

           मिलावट पर शोध ( तरकश ) डॉ लोक सेतिया 

मैंने अभी कुछ ही दिन पहले 15 अप्रैल को इक पोस्ट लिखी थी आपको उस को पहले पढ़ लेना चाहिए था , आजकल गारंटी गारंटी का शोर मचा हुआ था तभी मुझे अचानक नील कमल फ़िल्म का साहिर लुधियानवी जी का लिखा गीत याद आया । उस पोस्ट में गीत पढ़ कर समझ सकते हैं कि किस किस में क्या क्या मिलावट होने का अंदेशा है । 1968 का ज़माना था तब ऐसा ख़तरा लगता था तो 2024 में 56 साल बाद कोई कल्पना नहीं कर सकता हालत क्या होगी । विदेश में जांच होने पर हमारे देश की कंपनियों के पदार्थ मिलावटी पाए जाने पर सरकार को चिंता होनी स्वाभाविक है । हमारे देश की आम जनता को मिलावटी खाद्य पदार्थ खाने से अधिक ख़तरा तरह तरह की मिलावट से है । राजनीति में इतना कुछ मिला दिया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय को चुनाव आयोग को पवित्रता शब्द का उपयोग करना पड़ा है । राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते धोते , देश की न्याय व्यवस्था की दशा ऐसी है कि करोड़ों रूपये के घोटाले हुए साबित होने पर भी नेता अधिकारी बेगुनाह करार दिए जाते रहते हैं तो घोटाले क्या जनता ने किए थे । ताज़ा ताज़ा मामला इलेक्टोरल बॉण्ड का है जो असवैंधानिक करार दिए जाने पर भी गुनहगार का अता पता नहीं और कौन कितना खा कर हज़्म कर गया उसका हिसाब कभी नहीं । देश की राजनीति की मिलावट की तो कोई सीमा ही नहीं है भाषणों में झूठ की मिलावट से भाषा में अपशब्दों की असभ्य शब्दों की मिलावट से कितनी नफरत और हिंसा का आभास होता है बगैर किसी तीर तलवार के घायल होने वाला जानता है । आपत्ति जताने पर ब्यान वापस लेना खेद जताना भी अब नहीं किया जाता विवश हो कर कहना पड़ता है मेरी बात को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया । बड़े से बड़े पद पर आसीन व्यक्ति भी अपने पद की गरिमा की चिंता नहीं करता है झूठ सच ही नहीं साबित किया जाता बल्कि इतिहास तक को इतना अनुचित ढंग से पेश किया जाता है कि समझना कठिन होता है कि आज़ादी किस ने दिलाई थी और देश कब आज़ाद हुआ था । 
 
कोई प्रयोगशाला मिर्च मसालों की शुद्धता की जांच कर परख कर प्रमाणित कर सकती है मिलावटी है या नहीं है लेकिन हमारे देश की राजनीति करने वाले दलों में कितनी मिलावट है भगवान भी नहीं समझा सकता । कौन कितनी बार कितने दलों में आया गया इस का हिसाब लगाना आसान नहीं उस पर कितने राजनेता दल बदल कर अपराधी से बेदाग़ घोषित हुए ये करिश्मा कोई डिटर्जेंट नहीं कर सकता है सिर्फ एक का दावा रहा है कि दाग़ अच्छे हैं । खुद सरकार ने इतना कुछ आपस में डगमग कर दिया है कि कोई नहीं समझ सकता किस योजना का किस विभाग से क्या लेना देना है । सरकारी विज्ञापन का सच साबित होना संभव ही नहीं है क्योंकि उन में कोरी कल्पनाओं से सपनों की मिलावट कर हक़ीक़त को ऐसे ढक दिया जाता है कि देख कर सभी सोचते हैं जैसे किसी जादूगर ने उनको वास्तविक ज़िंदगी की परेशानियों से दूर किसी कल्पनालोक में पहुंचा दिया है । मिलवट हमारे देश की परेशानी या समस्या नहीं है बल्कि इक परंपरा है जो हमको विरासत में मिली और हमने उसे दोगुना चौगुना नहीं सौ गुना कर आगे सौंपने का संकल्प उठाया हुआ है । कौन माई का लाल हमको आगे बढ़ने से रोक सकता है । मिलावटी तेल से कितने लोग मरे थे जांच आयोग ने विदेशी हाथ की शंका प्रकट की थी । मिलावटी शराब पर क्या क्या नहीं हुआ अभी इक सीरीज बनाई गई है , हमारे टीवी फ़िल्म बनाने वालों को ये सब मनोरंजन का विषय लगते हैं सच कहूं तो आजकल का सिनेमा इतना मिलवती है कि कोई हिसाब नहीं । उस पर कहते हैं जो दर्शक पसंद करते हैं परोसना पड़ता है अब इस से बढ़कर मानसिक दिवालियापन क्या हो सकता है । मिलावट पर जितना चाहो लिख सकते हो यहां तक की अब साहित्य में भी मिलावट होने लगी है टीवी पर कॉमेडी शो से लेकर तथाकथित बड़े बड़े कवि सम्मेलन तक कविता ग़ज़ल नहीं चुटकुले और घटिया स्तर का मज़ाक बेशर्मी से प्रस्तुत किया जाता है । महिलाओं को किसी वस्तु की तरह पेश करना से लेकर खुद महिलाओं का अपनी गरिमा का ध्यान नहीं रखना दिखाई देता है तो मालूम पड़ता है कि सिक्कों की झंकार ने किस किस का ईमान गिरा दिया है । मिलावट की शुरुआत दूध में पानी मिलाने से हुई होगी जो अब नकली दूध घी तक पहुंच चुकी है । हम दुनिया में मसाले बनाने बेचने ही नहीं खरीदने में भी अव्वल नंबर पर हैं यही दौड़ है जिस में कोई हमको पछाड़ नहीं सकता है हमारा तो चरित्र ही मिलावटी है ख़ालिस नहीं , भीतर कुछ होता बाहर कुछ और दिखाई देते हैं । हमारी आस्था से विश्वास तक सभी रंग बदलते हैं गिरगिट भी हमारा मुकाबला नहीं कर सकती है और क्या कह सकते हैं ।  आपको इक मिसाल से समझाना चाहता हूं की अज्ञानता कितनी ख़तरनाक होती है , इक नीम हकीम खुद को आयुर्वेद का जानकर बताता था उस को वास्तविक जानकारी कुछ भी नहीं थी और उस ने अपनी सोच से शहद और घी दोनों को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानते हुए अपनी बनाई दवा में दोनों को मिला दिया जो आयुर्वेद के अनुसार विष अर्थात ज़हर बन जाता है आप ऐसे लोगों से सावधान रहना समझदार हैं इशारा काफ़ी है । कुछ लोग मिलावट करते हैं तो उनको पता ही नहीं होता क्या मिला दिया । सागर में आज यार का जलवा दिखा दिया , ज़ालिम मेरी शराब में ये क्या मिला दिया ।  अंत में इक पुरानी हास्य-व्यंग्य की कविता मिलावट पर पेश है । 
 

मिलावट ( व्यंग्य - कविता ) डॉ लोक सेतिया

यूं हुआ कुछ लोग अचानक मर गये
मानो भवसागर से सारे तर गये ।

मौत का कारण मिलावट बन गई
नाम ही से तेल के सब डर गये ।

ये मिलावट की इजाज़त किसने दी
काम रिश्वतखोर कैसा कर गये ।

इसका ज़िम्मेदार आखिर कौन था
वो ये इलज़ाम औरों के सर धर गये ।

क्या हुआ ये कब कहां कैसे हुआ
कुछ दिनों अखबार सारे भर गये ।

नाम ही की थी वो सारी धर-पकड़
रस्म अदा छापों की भी कुछ कर गये ।

शक हुआ उनको विदेशी हाथ का
ये मिलावट उग्रवादी कर गये ।

सी बी आई को लगाओ जांच पर
ये व्यवस्था मंत्री जी कर गये । 
 

 
 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

बहुत बढ़िया आलेख मिलावट पर...निर्यात किये मसालों में गड़बड़ मिली है। 👌👍