जुलाई 23, 2023

राजा का हमशक़्ल भिखारी ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

  राजा का हमशक़्ल भिखारी ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया 

ज़िंदगी मज़े से गुज़र रही थी जब जिधर चाहा चल देता भिक्षा मांगकर अच्छा गुज़र बसर होता थी । कोई घर परिवार की चिंता न कोई फ़िक्र कल क्या होगा । अचानक इक दिन किसी सरकारी दफ़्तर के भीतर चला गया छुट्टी का दिन था कोई भी नहीं था बस इक चपरासी था हुक़्क़ा पीता रहता चौबीस घंटे कोई नशा किया करता था । भिखारी उस के पास चला आया तो चपरासी ने पूछा कश लगाना है तो पहली बार इक अजीब सा नशा सवार हो गया । नशे में दोनों दोस्त बन क्या क्या बातें करते रहे और अंधेरा होते ही चपरासी ने पूछा कोई घरबार है तुमको कहां जाना है भिखारी ने बताया कोई नहीं सबको छोड़ दिया है अब वापस लौटना भी नहीं और कोई उसका लौटने का इंतज़ार भी नहीं करता है । दफ़्तर में ही चारपाई पर दोनों भाई नींद में कितने सुनहरे ख़्वाब देखते रहे । दिन हुआ तो चपरासी ने हैरानी से बताया कि तुम्हारी शक़्ल तो बिल्कुल राजा की जैसी है । दफ़्तर की फाइल में उसे राजा की तस्वीर दिखलाई और हंसते हुए बोला कहीं तुम राजा के जुड़वां भाई तो नहीं और इक फ़िल्मी कहानी सुनाई जिस में जन्म लेते बिछुड़ गए थे दो जुड़वां भाई । 
 
भिखारी ने चपरासी से मिलकर राजा के महल जाने की ख़्वाहिश जताई चपरासी ने कहा चल मेरे भाई महल की दासी है मेरी मौसी और दरबान है अपने गांव का जंवाई । पर तुझे देख कर कोई परेशानी नहीं हो इसलिए तुमको बनना पड़ेगा मेरी लुगाई घूंघट में मुखड़ा छुपा कर रखना राजमहल में दरोगा है बड़ा हरजाई । बस इस तरह से फ़िल्मी ढंग से भिखारी राजा के महल से कुछ दिन में उसके शयनकक्ष तक पहुंच गया और देख राजसी शानो शौकत नीयत में ख़राबी आई और चार लोगों ने मिलकर राजा को चुपके से किसी खण्हर में बंद कर भिखारी को राजा की जगह शासन पर बिठाया । खेल ऐसा था कोई कुछ नहीं समझ पाया यारों ने मिलकर सब खज़ाना मौज मस्ती में उड़ाया भिखारी राजा बन कर भी रहता हमेशा घबराया बस यही चिंता उसको भीतर से जाती खाई क्या होगा जब आखिर में मिलेंगे दोनों जुड़वां भाई । इक दिन भिखारी बना राजा चला गया खंडहर मिलने असली राजा से उस से पूछा क्या हाल चाल है तो जवाब मिला काश मुझे उस महल से पहले मिल जाती रिहाई यहां आकर चैन मिला नींद आई और बचपन से बिछुड़ी इक राजकुमारी भी मुझसे मिलने आती है दुनिया की खुशियों से बढ़कर होती है मुहब्बत मेरे भाई । 
 
भिखारी का दिल भी मचला खूबसूरत दिलरुबा का दीदार करने को उस ने असली राजा से कहा आज इक दिन तुझे यहां से आज़ाद करता हूं तुम महल चले जाओ मैं इक दिन यहीं ठहरता हूं । वादा करता हूं तेरे प्यार की लाज रखूंगा उसको भाभी समझ मिलकर कल तुम्हारा मिलन करवा सौंप दूंगा । असली राजा की हथकड़ी खोल भिखारी ने खुद को कैदी बनाया ये राजनीति का सबक उसको नहीं समझ आया । महल पहुंच ख़ामोशी से असली राजा ने चारों लुटेरों को पकड़ कर जेल भिजवाया और भिखारी को कुछ दिन वहीं खंडहर में रख कर मज़ा चखाया । कुछ दिन बाद उसको दरबार में बुलवाया और आदेश दिया जाओ कोई सज़ा नहीं आखिर तुमने हमशक़्ल होने का फ़ायदा ही उठाया लेकिन असली गुनहगार मेरे अपने लोग थे जिन्होंने इक जाल बिछाया तुम ने उनकी असलियत मुझे बताई । हम नहीं हैं फ़िल्मी जुड़वां भाई फिर भी ऊपर वाले ने इक जैसी शक़्ल अपनी बनाई ये उसकी मर्ज़ी है कोई राजा कोई भिखारी है मगर ये सफ़र ज़िंदगी का रहता जारी है । हमने फरमान किया जारी इक सरकारी है हर भिखारी को सरकारी अनुदान मिलेगा कुछ दिन हर कोई राजमहल का महमान रहेगा । सरकारी चपरासी के हुक़्क़े का नशा अभी तलक हावी है भिखारी को इंतज़ार है आने वाली इक राजकुमारी की शाही सवारी है । 
 

 

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