जून 01, 2023

पास रह के वो कितनी दूर रहे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

  पास रह के वो कितनी दूर रहे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया ' तनहा '

               ( पुरानी डायरी से 2009 वर्ष की लिखी रचना )

दिल की धड़कन नज़र के नूर रहे 
पास रह के वो कितनी दूर रहे ।

प्यार करते मुझे सब लोग पता 
हुस्न वाले बड़े मगरूर रहे । 
 
बस यही बेख़्याली छाई रही 
चढ़ गया इक नशा सा था सुरूर रहे । 
 
रास बेशक मुहब्बत आ न सकी 
उसके किस्से कई मशहूर रहे । 

दर्द-मंद इक तुम्हीं ' तनहा ' तो नहीं 
मीर ग़ालिब कभी थे सूर रहे । 
 

 


1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

बढ़िया ग़ज़ल👌