जून 05, 2023

एक दिन ज़िंदगी मुझे दे दे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया

        एक दिन ज़िंदगी मुझे दे दे ( ग़ज़ल ) डॉ लोक सेतिया 

एक दिन ज़िंदगी मुझे दे दे 
पल दो पल की ख़ुशी मुझे दे दे । 
 
क्यों है रूठी नहीं पता मुझको 
कुछ तेरी बंदगी मुझे दे दे । 
 
प्यार बिन कुछ कभी नहीं मांगा 
सब नहीं इक वही मुझे दे दे । 
 
राह सच की नहीं है आसां पर 
चल सकूं दिल्लगी मुझे दे दे । 
 
लोग अपने हैं देश अपना सब 
आशिक़ी इक यही मुझे दे दे ।
 
जिस से सारा जहां रहे रौशन 
सुरखुरु रौशनी मुझे दे दे । 
 
सबको खुशबू सदा मिले जिस से
फूल सी ताज़गी मुझे दे दे ।
 
लोग मेरी हंसी उड़ाते हैं 
और दीवानगी मुझे दे दे । 
 
बस ये हसरत बची हुई ' तनहा ' 
कुछ न दे सादगी मुझे दे दे । 



 
 
 

1 टिप्पणी:

Sanjaytanha ने कहा…

बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है... एक दिन ज़िंदगी.👍लोग मेरी हँसी उड़ाते हैं👌👌👌