जुलाई 07, 2021

तस्वीर तेरी दिल में ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया

       तस्वीर तेरी दिल में ( हास-परिहास ) डॉ लोक सेतिया 

आशिक़ आशिक़ होते हैं महबूबा की तस्वीर दिल में छुपा कर रखते थे कभी ज़माना था। किसी शायर ने कहा था कुछ हसीनों के खतूत कुछ तस्वीरें बुताँ बाद मरने के मेरे घर से ये सामां निकला। अब उनको क्या मालूम था कितनी हैं अब तलक और कितनी अभी और बनानी हैं। बड़े दिलवाले लोग मुहब्बत बांटने में किफ़ायत नहीं किया करते हैं। आधुनिक युग है आशिक़ी का रोग छोटी उम्र में लग जाता है शायद कोई बचना चाहता है कोई नहीं बच पाता है। सोशल मीडिया ने झूठी मुहब्बत की कितनी कहानियां बनाई बिगाड़ी हैं फेसबुक पर बाज़ार सजा हुआ है सच्ची मुहब्बत की झूठी तस्वीरों का। किसी सिरफिरे ख़ाली दिमाग़ शैतान का घर बंदे ने फेसबुक पर इक पेज बना डाला है सब पेज लाइक करने वालों को जिस किसी से मुहब्बत हुई उसकी बात तस्वीर के साथ शेयर करने को कहा है। खुद को बदनसीब बताया है क्योंकि उनकी ज़िंदगी में जो भी मिलती रहीं उनकी तस्वीर पास नहीं है लिखते हैं तस्वीर तेरी दिल में बसाई है। कोई वक़्त था लड़के अपने ख़ाली बटुए में तस्वीर रखते थे बस तस्वीर से बात करते थे उसको कहने से डरते थे। वहीं से कुछ टुकड़े आशिक़ों के दिल के बिखरे पड़े हैं लाया हूं आपको दिखाने को क्या ज़रूरी है हर मुहब्बत की अमर कहानी कोई लिखे जाने कितने बेनाम अनजान बदनाम आशिक़ सच्चे नहीं झूठे ही सही दुनिया में हुए हैं। इधर शायरी लिखने वालों ने खूबसूरत तस्वीर साथ लगाई है मिलती बधाई है। आपने अपनी कहानी क्या किसी को बताई है तौबा तौबा ये प्यार की रुसवाई है , देखा कोई पढ़ कर लज्जाई शर्माई है। 
 
     बचपन की मुहब्बत को दिल से न भुला देना , पोस्ट पर तस्वीर गुलाब के फूल की नहीं किसी भंवरे की लगाई है। समझ नहीं आई बात इतनी साफ समझाई है भंवरा बड़ा नादान रे , बगियन का महमान रे , फिर भी जाने ना जाने ना जाने ना कलियन की मुस्कान रे। किसी लड़की की फेसबुक वाले लड़के ने किसी की तस्वीर फेसबुक से लेकर उसकी तस्वीरों का गुलदस्ता बनाकर क्या कमाल किया है। बस जिसकी तस्वीर है उसी को नहीं पता कौन है उसने कि इसने ब्लॉक किया है। सोनम बेवफ़ा नहीं है किस्सा भूला नहीं है हर कोई उसकी गवाही देता था , सोनम ने अपनी बात लिखी है बस यही बताया है नाम पर मत जाना असली नहीं है बाकी सब सच है। सबसे लाजवाब बात इक महिला ने लिखी है जिस से सच्चा प्यार हुआ कभी इकरार नहीं इज़हार नहीं किया उसके लिए ज़िंदगी भर घर-बार नहीं किया उसके नहीं रहने पर उसकी नाम की माला जपती है खुद को मीरा कहती है राधा कहती है। जिस देश में गंगा बहती है कितनी फ़िल्मी कहानियां कितनी नायक नायिकाओं के किस्से लिखे हुए हैं। साहिर की बात से लेकर रेखा हेमा की कितनी कहानियां पढ़ कर लगता है मुहब्बत का तमाशा किसी मेले की नौटंकी में दिखाया जा रहा है। 
 
  सबसे बड़ी सच्ची मुहब्बत रूहानी होती है किसी ने ख़ुदा से ऊपरवाले से इश्क़ की कहानी लिखी है। पढ़कर किसी ने वीडियो बना डाला है कोई बादशाह किसी को खुले आसमान के नीचे मिट्टी से खेलते देख सोचता है इस के पास घर नहीं पहनने को कपड़े नहीं खाने को कुछ नहीं है। उस से कहता है मेरे साथ मेरे महल में चलकर रहो आपको सब मिलेगा जो भी मांगोगे। क्या मेरी चार शर्त मानोगे मुझे साथ ले जाना चाहते हो तो बताओ। बादशाह ने कहा कोई मुश्किल नहीं मेरे लिए बोलो क्या क्या शर्त है। उसने कहा मुझे सब खाने को देना मगर खुद आपको कुछ भी नहीं खाना पहली शर्त है , बादशाह ने कहा ये छोड़ और क्या है शर्त बताओ। उसने कहा मुझे शानदार लिबास पहनने को देना खुद नहीं पहनना , तीसरी शर्त मुझे चैन से सोने देना खुद कभी नहीं सोना होगा , और चौथी शर्त है मुझे छोड़कर कभी इक पल भी कहीं नहीं जाना। बादशाह बोले आप ही बताओ कोई भी ऐसा कैसे कर सकता है। मुझे अपने राज का सब कुछ कामकाज करना है कैसे कर सकता हूं।  उसने बताया मेरा ईश्वर ये सब करता है मुझे खिलाता है खुद कुछ नहीं खाता है। मुझे पहनने को कपड़े देता है खुद नहीं पहनता , मैं सोता रहता वो कभी नहीं सोता है , कभी भी मुझे छोड़ कर कहीं नहीं जाता। फिर भी उसका कामकाज उसका दुनिया का सब काम नियमित होता रहता है दिन रात हवा पानी मौसम कुदरत सभी रुकते नहीं हैं। सोचना आपको किसी तस्वीर की ज़रूरत नहीं होगी कोई ईमारत कोई मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा गिरजाघर ज़रूरी नहीं उस से मुहब्बत सबसे सच्ची मुहब्बत है। माला फेरना गिनती करते रहना जैसे कर्म की अहमियत नहीं है। 
 
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3 टिप्‍पणियां:

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08-07-2021को चर्चा – 4,119 में दिया गया है।
आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क

Manisha Goswami ने कहा…

Very nice👍👏👏👍👍👍👍

Subodh Sinha ने कहा…

"किसी तस्वीर की ज़रूरत नहीं होगी कोई ईमारत कोई मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा गिरजाघर ज़रूरी नहीं उस से मुहब्बत सबसे सच्ची मुहब्बत है। माला फेरना गिनती करते रहना जैसे कर्म की अहमियत नहीं है। " - हास-परिहास में कही गई गंभीर बात .. शायद ...