कल्याणकारी मोदीमंत्र ( नवीनतम अध्याय ) डॉ लोक सेतिया
आखिर मैंने उनको मना ही लिया उनके शिखर तक पहुंचने के निराले ढंग अजब तौर तरीके और अचूक निशाने पर लगने वाले रहस्यमयी बाणों का भेद खोलने को जनहित विश्वकल्याण की दुहाई देकर। आपको यहां तलक पहुंचने में सबसे अधिक महत्वपूर्ण योगदान किस का रहा है पहले ये सवाल करना लाज़मी था। क्या जनता का संपर्क संगठन का भरोसा या दल का समर्थन इसके लिए पहली सीढ़ी साबित हुआ। ताली बजाते हुए हंस कर कहने लगे इतना भी नहीं जानते हर कामयाब व्यक्ति के पीछे किसी महिला का हाथ होना लाज़मी है। मेरी धर्मपत्नी अगर चाहती तो मुझे अपने बंधन से मुक्त नहीं होने देती और मैं दाल रोटी कपड़ा मकान घर का सामान जमा करने में भटकता रहता। लेकिन उस महान आदर्शवादी नारी ने मुझे किसी झंझट में नहीं डाला मुझ पर गुज़ारा मांगने तक को मुकदमा नहीं किया। सोचो अगर अलग अलग रहने से विवाह बंधन से छुटकारा पाने को पंचायत का अथवा अदालत का दरवाज़ा खटखटाती तो मैं जितने साल खैरात मांग कर गुज़र बसर करता रहा इन चक्करों में फंसकर ज़िंदगी बिताने को मज़बूर हो सकता था। आज भी मेरे शासक बनने के बाद उस औरत ने कभी अपना अधिकार नहीं चाहा है जो कानून संविधान भी उसको इनकार नहीं कर सकता है। बात पते की लगी तो मैंने कहा किसी महीने मन की बात करते रेडियो पर उनका धन्यवाद या आभार ही जता देना उचित था किया नहीं किसलिए। उन्होंने कहा ये पति - पत्नी का आपसी मामला है इसको राजनीतिक चर्चा से अलग रखना चाहिए।
ठीक है जैसा आपकी मर्ज़ी मगर आपके कितने मंत्र आये-दिन सुनते हैं कुछ ख़ास ऐसे सभी की भलाई के लिए बताओ। उन्होंने कहा मुझे जानवरों से बड़ा लगाव है प्यार है उनसे सीखने को बहुत मिलता है। बिल्ली और कुत्ता दो जीव हैं जिनको लोग पालते हैं मगर उनका सवभाव अलग अलग है सोच बिल्कुल उल्टी है। कुत्ते को कोई खिलाता पिलाता है रहने को जगह देता है उसको आराम से सोने को बिस्तर कपड़े देता है तब कुत्ता समझता है ये मेरा भगवान है मुझे सब देता है। इसलिए अपने पालने वाले के पांव चूमता है दुम हिलाकर उपकार मानने का इज़हार करता है। लेकिन यही सब बिल्ली को मिलता है तो उसको लगता है मैं भगवान हूं तभी ये मुझे खुश करने को रात दिन कोशिश करता है। बिल्ली जो मिलता है उसको अधिकार समझती है और कुत्ता उसी को उपकार समझता है। सियासत में ये दोनों महत्वपूर्ण सबक सिखलाते हैं। कुत्ते को हड्डी खिलाते हैं बिल्ली से दूध को बचाते हैं छिपाते हैं मुश्किल खड़ी तब होती है जब चूहे बिल्ली कुत्ते शेर दोस्ती निभाते हैं। ऐसा होता है जब चुनाव करीब आते हैं। लोमड़ी को सरे गुर आते हैं गिरगिट भी रंग बदलने में पीछे रह जाते हैं हम राजनेता मगरमच्छ हैं चबाते नहीं निगल जाते हैं लोग हमको बार बार आज़माते हैं। धोखा खाते हैं पछताते हैं सब सम्मोहित करने वाले मंत्र बस मुझी को आते हैं। असली बात आपको समझाते हैं बात कहते हैं बात से मुकर जाते हैं अच्छे दिन लाने की बात थी जानते हैं कैसे कैसे हालात दिखलाते हैं। किया जो जो छुपाते हैं जो कर नहीं सकते उसके सपने दिखलाते हैं बिना कुछ भी करे कर दिया का शोर मचाते हैं जब लोग समझने लगते हैं उनको भारतमाता की जय देशभक्ति जैसे नारों से उलझाते हैं हारी बाज़ी को जीतने वाले बाज़ीगर कहलाते हैं।
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